संघ प्रमुख मोहन भागवत l पिछले चार-पांच माह में मप्र को लेकर काफी सक्रियता दिखा रहे हैं। पिछले तीन माह में संघ प्रमुख मोहन भागवत चौथी बार भोपाल प्रवास पर हैं। संघ प्रमुख के भोपाल प्रवास को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही है। कोई इसे संघ की गतिविधयों तो कोई उपचुनाव से जोड़ रहा है। लेकिन संघ सूत्रों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों को लेकर संघ और भाजपा में उठ रही विद्रोह की लहर को शांत करने के लिए भागवत को बार-बार मप्र आना पड़ रहा है।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि सिंधिया और उनके समर्थक जब से भाजपा में शामिल हुए हैं, तथा उन्हें मंत्री मंडल में थोक के भाव पर मंत्री बनाया गया है, तब से पार्टी और संघ के अनुषांगिक संगठन के नेताओं का एक बड़ा वर्ग उनकी खिलाफत कर रहा है। संघ और भाजपा में उठ रही विद्रोह की खबरें लगातार संघ मुख्यालय पहुंच रही है। इस विद्रोह को शांत करने के लिए मोहन भागवत को भोपाल आना पड़ा हैं।
सैकड़ों भाजपाईयों की राजनीति का पटाक्षेप
संघ के सूत्रों का कहना है कि मप्र में सत्ता के लिए भाजपा ने सिंधिया के साथ ही अभी तक 26 कांग्रेसी विधायकों को इस्तीफा दिलवाकर पार्टी में शामिल तो कर लिया है, लेकिन इस कारण हजारों भाजपाईयों का राजनीतिक भविष्य खटाई में पड़ गया है। उपचुनाव में अपने वादे के मुताबिक भाजपा ने कांग्रेस छोडऩे वाले 25 पूर्व विधायकों को टिकट तो दे दिया, लेकिन इस कारण उन क्षेत्रों में भाजपा के खाटी नेताओं की राजनीति खत्म हो गई। केंडरबेस पार्टी और संघ की विचारधारा को नहीं मानने वाले कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं के आने से भाजपा में बड़े स्तर पर विद्रोह की आग सुलग रही है। यह आग दावानल बन जाए, इससे पहले इसे शांत करने के लिए संघ प्रमुख के भोपाल आना पड़ा हैं।
बड़े स्तर पर भितरघात और विद्रोह
भाजपा नेताओं की खिलाफत के बावजुद सिंधिया समर्थकों को उपचुनाव में टिकट देना अब संघ और भाजपा पर भारी पडऩे लगा है। उपचुनाव में पार्टी के दिशा निर्देश के बावजुद भाजपा और संघ के नेताओं ने भितरघात किया है। ऐसा करने वालों को एक तरफ भाजपा कारण बताओ नोटिस जारी कर रही है। वहीं संघ प्रमुख भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ ही संघ के अनुषांगिक संगठनों के नेताओं का विदोह शांत करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि संघ प्रमुख ने इससे पहले 20 जुलाई, 9 अगस्त और 17 सितंबर को भोपाल में बैठकें करके नेताओं और संगठन के पदाधिकारियों को समझाने की कोशिश की थी, लेकिन संघ और भाजपा के पदाधिकारियों की नाराजी बढ़ती जा रही है।
हो सकती है बड़ी बगावत
भाजपा सूत्रों का कहना है कि चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं गए और नाराज विधायकों को मंत्री नहीं बनाकर निर्दलीय, सपा, बसपा के विधायकों को मंत्रीमंडल में शामिल करने से विद्रोह भड़क सकता है। संगठन जिस तरह उपचुनाव में काम न करने वाले नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी कर रहा है, उससे भाजपा और संघ के नेताओं में आक्रोश बढ़ रहा है। संभावना जताई जा रही है कि अगर भाजपा के अनुकूल चुनाव परिणाम नहीं रहे तो पार्टी में बड़े स्तर पर बगावत हो सकती है।