दिल्ली महिला आयोग ने नार्थ-ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों में अपने परिवार से बिछड़ी 2 साल की एक बच्ची को उसके परिवार से मिलवाया। मीडिया के ज़रिए इस बच्ची के परिवार से बिछड़ने की खबर आयोग को मिली। जिसके बाद आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल और आयोग की सदस्य फिरदौस खान ने आयोग की महिला पंचायत टीम को बच्ची को उसके परिवार से मिलवाने की ज़िम्मेदारी सौंपी। टीम को जानकारी मिली कि बच्ची अभी सुहानी (नाम बदला गया) नाम की एक महिला के पास मुस्तफाबाद में दंगा पीड़ितों के लिए बनाए गए एक शेल्टर होम में रह रही थी।
जब टीम ने शेल्टर होम पहुंचकर सुहानी से बात की तो उसने बताया कि दंगों के माहौल में मची अफरा-तफरी में उसे बच्ची एक मस्जिद के पास अकेले बैठी मिली। बच्ची कुछ बोल नहीं रही थी इसलिए हालातों को देखते हुए सुहानी उसे अपने साथ ले गयी। जब आयोग की टीम ने सुहानी से बात की तो उसने बताया कि उसने डर के कारण पुलिस को रिपोर्ट नहीं किया। सुहानी बच्ची को देने में भी कतरा रही थी क्योंकि उसे डर था कि उस बच्ची को ठीक से रखा जाएगा या नहीं। आयोग की सदस्य फिरदौस ने सुहानी से बात कर उसे समझाया कि बच्ची को उसके माता-पिता से मिलवाने के लिए आयोग प्रयास कर रहा है। जिसके बाद सुहानी बच्ची को देने को राज़ी हुई।
आयोग ने पुलिस को सूचित कर बच्ची के माता-पिता को ढूंढने के लिए पुलिस के साथ साझा अभियान चलाया। आयोग की टीम द्वारा क्षेत्र में घूमकर लोगों से बात की गयी और पूरे क्षेत्र में बच्ची मिलने की जानकारी का प्रचार किया। जिस मस्जिद के पास से बच्ची मिली थी, उस मस्जिद से बच्ची कि जानकारी देते हुए मुनादी भी करवाई गयी जिसके बाद कड़ी मशक्क्त के बाद लड़की के दादा को जानकारी मिलते ही वो पुलिस स्टेशन पहुँचे और बच्ची की सूचना मांगी।
लड़की के दादा ने बताया कि जिस वक्त बच्ची लापता हुई थी वो उस समय उसके साथ थी और वो और उसका परिवार पिछले 2-3 दिन से बच्ची को ढूंढ रहे थे। बच्ची के पिता को उसके बाद पुलिस स्टेशन बुलाया गया जहां उसने बच्ची के पिता होने के सबूत दिखाए और सारी कागज़ी कार्रवाई के बाद बच्ची को सुरक्षित उसके परिवार को सौंप दिया गया। बच्ची को वापिस पाकर बच्ची का परिवार बहुत खुश हुआ और उन्होंने दिल्ली महिला आयोग और पुलिस का धन्यवाद किया।
दिल्ली महिला आयोग कि अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, “हमें इस बच्ची के बिछड़ने की खबर मीडिया और सोशल मीडिया के ज़रिए मिली थी जिसके बाद हमने तुरंत टीम का गठन कर बच्ची के परिवार की तलाश शुरू कर दी। इस केस में हमें पुलिस से भी बहुत सहयोग मिला। आयोग की सदस्य फिरदौस ने ज्वाइंट कमिश्नर आलोक कुमार से बात की जिन्होंने अपनी टीम को दिल्ली महिला आयोग की टीम को पूरा सहयोग देने के निर्देश दिए। मुझे बहुत ख़ुशी है कि हम बच्ची को उसके परिवार से वापिस मिलवा पाए।”