कुमार गौरव, पूर्णिया
- कोसी व सीमांचल के जिलों में टिड्डों का दल अब तक नहीं पहुंचा है लेकिन पर्यावरण में नमी टिड्डों के हमले को न्योता दे सकता है : सुनील कुमार झा

टिडि्डयों का दल बिहार पहुंच चुका है। सूबे के कैमूर, रोहतास, बक्सर, औरंगाबाद, सारण, भोजपुर, गया, सिवान, गोपालगंज एवं पश्चिमी चंपारण जिलों की सभी पंचायतों में चेतावनी जारी कर दी गई है। कृषि विभाग ने इन जिलों से सटे अन्य जिलों को भी सतर्क रहने का अलर्ट जारी किया है। हालांकि कोसी और सीमांचल के जिलों में टिड्डों का दल अब तक नहीं पहुंचा है लेकिन पर्यावरण में नमी किसी भी वक्त टिड्डों के हमले को न्योता दे सकता है। इस संबंध में उद्यान पदाधिकारी केनगर सुनील कुमार झा कहते हैं कि बिहार के इन जिलों में टिड्डियों के पहुंचने की सूचना पर कृषि मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से आपात बैठक की है। पौधा संरक्षण विभाग को विशेष हिदायत दी गई है। उन्होंने बताया कि इससे बचाव के लिए कृषि विभाग के द्वारा दिशा निर्देश भी जारी किया गया है। जिसे लेकर प्रखंड के पंचायतों में जल्द ही कृषि सलाहकार के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जाएगा। श्री झा ने बताया कि पश्चिम बंगाल से शुरू हुआ टिड्डों के दल का सफर अब बिहार में भी प्रवेश गया है। इसलिए हमें सतर्क रहना होगा। टिड्डों पर नियंत्रण के लिए जरूरी उपकरण एवं दवाओं के छिड़काव भी कराए जाएंगे।
ये हैं बचाव के तरीके :
- टिड्डी दल हजारों की संख्या में आगे बढ़ते हैं
- रात में जब टिड्डी दल आराम करता है। इसलिए सूर्योदय होने से पूर्व इस पर क्लोरोपायरीफॉस कीटनाशक का छिड़काव कर इसे रोका जा सकता है
- लैम्बड़ासायहेलोथ्रीन 5 (ईसी) की 10 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है
- फिपरोनिल 5 (ईसी) की 1 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव
- डेल्टामेंथ्रिन 2.8 (ईसी) की 1 से 1.5 मिली मात्रा पानी में मिलाकर छिड़काव
- इसे भगाने का पारंपरिक तरीका भी अपनाया जाता है, लोग थाली, ढोल और तरह तरह की आवाज कर इसे भगाते हैं।

मौसम के बदले मिजाज से हुआ टिड्डी दल का आक्रमण :
टिड्डी दल हजारों की संख्या में आगे बढ़ते हैं। मौसम के बदले मिजाज के कारण देश में टिड्डों का आक्रमण हुआ है। देश में बारिश इस वर्ष काफी अधिक हुई है। उत्तर बिहार में अप्रैल, मई व जून में इतनी अधिक बारिश हुई है कि 20 वर्षों का रिकॉर्ड टूट गया है। उत्तर बिहार में नमी काफी अधिक बनी हुई है और टिड्डों की फौज नमी वाले इलाके में तेजी से प्रवेश करते हैं। एक दिन में टिड्डी दल 200 किमी की दूरी तय करता है। टिड्डी दल रात में आगे नहीं बढ़ता है। शाम में सभी एक जगह में एकत्र होकर पेड़, पौधे व खेत में लगी फसलों पर आराम करते हैं।