निजामुद्दीन इलाके में स्थित तब्लीगी जमात के सेंटर (मरकज) में 24 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। यहां से निकल भागे कई लोग अभी भी पुलिस के रडार पर नहीं है जिनसे संक्रमण फैलने का खतरा बरकरार है। ऐसे लोग यूपी, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कश्मीर समेत कुछ अन्य राज्यों में मौजूद हो सकते हैं। इस बीच दिल्ली पुलिस ने साफ किया है कि 23 और 28 मार्च को पुलिस ने मरकज खाली कराने के लिए नोटिस भेजा था लेकिन नोटिस भेजने के बाद भी मरकज में मौजूद लोगों को छिपाए रखा गया।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए संपूर्ण देश में 21 दिनों के लिए 24 मार्च को लॉकडाउन घोषित किया गया जिसके बाद मरकज को खाली करने का नोटिस दिया गया था लेकिन मरकज प्रशासन ने पुलिस की नोटिस पर अमल नहीं किया और मरकज में मौजूद लोगों को छिपाए रखा गया। तब्लीगी जमात का सेंटर होने के चलते यहां देश ही नहीं, पूरी दुनिया से लोग आते हैं और इसके बाद उन्हें अलग-अलग समूहों में विभिन्न शहरों और कस्बों में इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए भेजा जाता है। निजामुद्दीन के मरकज से देश के विभिन्न भागों में गए लोगों के बारे में जानकारी एकत्र की जा रही है।

पुलिस उपायुक्त आरपी मीणा ने कहा कि हमने कार्यक्रम को रद्द करने और भीड़ न एकत्रित करने को लेकर 2 बार नोटिस (23 मार्च और 28 मार्च) को नोटिस दिया था लेकिन इसके बाद भी कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जो लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन है, इसको लेकर पुलिस आवश्यक कार्रवाई करने जा रही है। यहां पर कार्यक्रम 1 मार्च से 15 मार्च के बीच था, लेकिन देश-विदेश से आए लोग इसके बाद भी यहां रुके हुए थे। इस बारे में जमात ने सफाई दी है कि लॉकडाउन लागू होने से पहले ही वहां पर देशी विदेशी गेस्ट ठहरे हुए थे। लिहाजा उन्होंने सरकार के आदेश का पालन किया कि जो जहां है, वहीं पर रुका रहे।

मरकज की तरफ से अपने बचाव में यह भी पुलिस को दलील दी गई है कि उन्होंने लॉक डाउन के निर्देश मिलने के फौरन बाद तकरीबन 15 सौ लोगों को मरकत से रवाना करवा दिया था और बाकी लोगों की मूवमेंट के लिए कुछ गाड़ियों की लिस्ट पुलिस को दी थी ताकि उनकी परमिशन मिल सके और बचे हुए लोगों को यहां से भेजा जा सके लेकिन अनुमति न मिलने से जो जहां था, वहीं पर रुका रहा।

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