नई दिल्ली। अवैध धर्मांतरण मामले में अब रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। खबर है उत्तर प्रदेश और दिल्ली में हुए अवैध धर्मांतरण मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी (ईडी) ने भी मामला दर्ज कर लिया है। जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय जांच एजेंसी ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को टेकओवर कर लिया है। अब दिल्ली और यूपी समेत कई अन्य राज्यों में हुए धर्म परिवर्तन की जांच ईडी करेगी।
ईडी धर्मांतरण के लिए विदेश से की गई फंडिंग की भी विस्तार से जांच करेगी। सूत्रों के अनुसार, ईडी मुख्यालय में यह मामला दर्ज किया गया है। धर्मांतरण मामले में यूपी एटीएस ने उमर गौतम और उसके सहयोगी मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी को गिरफ्तार किया है। दोनों को सात दिन की रिमांड पर लेकर की गई पूछताछ में विदेशी फंडिंग आदि से जुड़ी बेहद अहम जानकारियां सामने आई हैं।
पूछताछ में इस्लामिक दावा सेंटर के माध्यम से उमर गौतम और जहांगीर से बीते डेढ़ साल में धर्म परिवर्तन करने का 17 पेज का विवरण सामने आया है। इसमें उमर गौतम के साथी जहांगीर आलम कासमी के दस्तखत से 7 जनवरी 2020 से 12 जून 2021 तक जिन 33 लोगों का धर्मांतरण कराया गया, उनमें 18 महिलाओं के साथ 15 पुरुष शामिल हैं।
हैरानी की बात यह है कि इसमें सिर्फ एक व्यक्ति कम पढ़ा-लिखा है, बाकी सभी लोग उच्च शिक्षित। धर्म बदलने वाले लोगों में कई उच्च शिक्षित और अच्छी सरकारी नौकरियां करने वाले और कुछ सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी शामिल हैं। दिल्ली के अस्पताल की स्टाफ नर्स, गुजरात का एमबीबीएस डॉक्टर और एमसीए पीएचडी कर चुके लोग भी धर्मपरिवर्तन करने वाले लोगों में शामिल हैं।
इस्लामकि दावा सेंटर ने धर्मांतरण फार्म के साथ एक एफिडेविट भी लगाकर दिया है, जिसमें साफ साफ लिखा है कि वह बिना किसी लालच और भय के स्वेच्छा से अपना मूल धर्म छोड़कर इस्लाम अपना रहे हैं। यूपी एटीएस को जिन 33 लोगों की लिस्ट मिली हैं, उनमें से सबसे अधिक दिल्ली के 14 लोगों ने धर्मांतरण किया है, जबकि यूपी से 9, बिहार से तीन और मध्य प्रदेश से दो लोगों ने धर्मांतरण किया। वहीं, गुजरात, महाराष्ट्र, असम, झारखंड और केरल के एक-एक व्यक्ति ने धर्मांतरण कर इस्लाम धर्म स्वीकार किया है। हैरानी की बात यह है कि इनमें से यूपी के बुलंदशहर का रहने वाला व्यक्ति ही सबसे कम पढ़ा लिखा है। उसने सिर्फ छठी क्लास तक पढ़ाई की है। उसने इसी जून माह में ही धर्मांतरण किया है।