पुरुषों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले दो एनजीओ ने दिल्ली हाईकोर्ट को पत्र लिखकर महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के आदेशों पर तीन महीने के लिए रोक लगाने की मांग की है. पत्र में कहा गया है कि कोरोना की वजह से घोषित लॉकडाउन की वजह से रोजगार छिन गए हैं और आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई हैं. इस स्थिति में पुरुष इस स्थिति में नहीं हैं कि वे महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के कोर्ट के आदेश को लागू कर सकें. मेन वेलफेयर ट्रस्ट और सेव फैमिली फाउंडेशन ने ये पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि अदालतों की ओर से महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के लिए दिल्ली सरकार और दिल्ली महिला आयोग एक वित्तीय पैकेज लेकर आए.

पत्र में कहा गया है कि भारत के अधिकांश लोग छोटे व्यवसायी, फ्रीलांसर, दुकानदार और निजी कंपनियों के कर्मचारी हैं. इनमें अधिकांश दैनिक वेतनभोगी हैं. याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली के फैमिली कोर्ट और महिला कोर्ट की ओर से महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के आदेश पर तीन महीने तक की रोक लगाई जाए, लेकिन रोजगार छिन जाने और आर्थिक गतिविधियां ठप हो जाने से पुरुष महिलाओं को गुजारा भत्ता देने की स्थिति में नहीं हैं. आपको बता दें कि हिन्दू मैरिज एक्ट, स्पेशल मैरिज एक्ट, हिन्दू अडॉप्शन एंड मेंटिनेंस एक्ट, डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट और अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ते की मांग की जाती है. इन याचिकाओं पर फैमिली कोर्ट और महिला कोर्ट सुनवाई कर गुजारा भत्ता देने का आदेश देती है.

 

 

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