• पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में हुआ परीक्षण

जैसलमेर । राजस्थान के जैसलमेर जिले के पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में भारतीय सेना और डीआरडीओ ने आकाश मिसाइल के एडवांस वर्जन का सफल परीक्षण किया है। इस मौके पर सेना के अधिकारी और डीआरडीओ को बड़े वैज्ञानिक मौजूद थे। इस मिसाइल को सेना ने अपनी हवाई सुरक्षा के लिए तैयार कराया है। ऐसा माना जा रहा है, कि यह आकाश के नए वर्जन ‘आकाश प्राइम का टेस्ट हो सकता है। पिछले साल सितंबर के महीने में भी मिसाइल की ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से सफल परीक्षण किया गया था। तब मिसाइल ने मानवरहित हवाई टारगेट को ट्रैक करके उस हवा में ही ध्वस्त कर दिया। पोकरण में टारगेट किस तरह का था इसका खुलासा नहीं किया गया है। लेकिन यह बात पुख्ता की गई है कि टारगेट पूरी तरह से नष्ट हो चुका है।
आकाश प्राइम मिसाइल में स्वदेशी एक्टिव आरएफ सीकर लगा है, जो दुश्मन के टारगेट को पहचानने की सटीकता को बढ़ाता है। इसके अलावा इसमें अत्यधिक ऊंचाई पर जाने के बाद तापमान नियंत्रण के यंत्र को अपग्रेड किया गया है। ग्राउंड सिस्टम को अपग्रेड किया गया है। इसके अलावा राडार, ईओटीएस और टेलीमेट्री स्टेशन, मिसाइल ट्रैजेक्टरी और फ्लाइट पैरामीटर्स को सुधारा गया है। लेकिन इससे ज्यादा जानकारी अभी तक सेना, सरकार या डीआरडीओ की तरफ से दी नहीं गई है।
इसके पहले पिछले साल जुलाई में आकाश-एनजी यानी आकाश न्यू जेनरेशन मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था। आकाश-एनजी जमीन से हवा में मार करना वाली मिसाइल है। इस भारतीय वायुसेना के लिए बनाया गया है।आकाश-एनजी में डुअल पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर है, जो इसकी गति को बढ़ाता है। इसकी रेंज 40 से 80 किलोमीटर है। साथ ही इसमें एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे मल्टी फंक्शन राडार (एमएफआर) लगा है,जो एकसाथ कई दुश्मन मिसाइलों या विमानों को स्कैन कर सकता है।
आकाश-एनजी मिसाइल को मोबाइल प्लेटफॉर्म से लांच किया जा सकता है। आकाश-एनजी का कुल वजन 720 किलोग्राम है। इसकी लंबाई 19 फीट और व्यास 1.16 फीट है। ये अपने साथ 60 किलोग्राम वजन का हथियार ले जा सकता है।
फिलहाल भारत में इसके तीन वैरिएंट मौजूद हैं, पहला आकाश एमके इसकी रेंज 30 किलोमीटर है। दूसरा आकाश एमके-2 इसकी रेंज 40किलोमीटर है। तीसरा आकाश-एनजी इसकी रेंज 80 किलोमीटर है। आकाश-एनजी मिसाइल 20 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाकर दुश्मन के विमान या मिसाइल को नष्ट कर सकती है।सबसे ज्यादा खतरनाक इसकी गति है। ये दुश्मन को बचने की तैयारी का मौका नहीं देता।इसकी गति 2.5 मैक यानी 3087 किलोमीटर प्रतिघंटा है। यानी एक सेंकेंड में करीब एक किलोमीटर की दूरी तय करता है।
आकाश-एनजी मिसाइल के पुराने संस्करण साल 2009 से भारतीय सेनाओं को अपनी सेवा दे रहे हैं।आकाश-एनजी मिसाइल को टी-72 या बीएमपी चेसिस या टाटा मोटर्स के हैवी मोबिलिटी ट्रक्स पर बनाए गए मोबाइल लांच सिस्टम से दागा जा सकता है। इस मिसाइल के मोबाइल लांच सिस्टम के लिए गाड़िया टाटा मोटर्स और बीईएमएल -ट्रेटा कंपनियां बनाती हैं।
आकाश-एनजी मिसाइल के पुराने संस्करण को पिछले साल चीन के साथ हुए सीमा विवाद के दौरान लद्दाख स्थित लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भी तैनात किया गया था। इसके अलावा भारतीय वायुसेना ने आकाश मिसाइलों को ग्वालियर, जलपाईगुड़ी, तेजपुर, जोरहाट और पुणे बेस पर भी तैनात कर रखा है। कुछ समय पहले खबरें आईं थी कि फिलिपींस, बेलारूस, मलेशिया, थाईलैंड, यूएई और वियतनाम आकाश मिसाइलों को भारत से खरीदना चाहते हैं। 30 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट की बैठक में इन मिसाइलों के निर्यात करने का फैसला लिया था। यानी अब इस मिसाइल को दुनिया के बाकी देश भी खरीद सकते हैं।

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