नई दिल्ली । दूरसंचार क्षेत्र के लिए वर्ष 2021 गतिविधियों से भरा होगा और अगली तिमाही में स्पेक्ट्रम नीलामी के साथ ही एडीआर बकाया चुकाने के कारण दूरसंचार कंपनियां टैरिफ में बढ़ोतरी कर सकती हैं। भारतीय दूरसंचार बाजार में एक समय करीब एक दर्जन परिचालक थे, लेकिन बीते वर्षों के दौरान गलाकाट प्रतियोगिता के चलते इनमें से कई प्रमुख नामों को कारोबार छोड़ना पड़ा। यह भी संभव था कि 2020 में सिर्फ दो कंपनियां ही बचतीं, लेकिन उच्चतम न्यायालय दूरसंचार कंपनियों द्वारा 1.47 लाख करोड़ रुपये के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाए को 10 साल में चुकाने के लिए तैयार हो गया। शीर्ष न्यायालय के अक्टूबर 2019 के इस आदेश से कठिन दौर से गुजर रहीं दूरसंचार कंपनियों को बड़ी राहत मिली, हालांकि न्यायालय ने एजीआर की गणना में मुख्य व्यवसाय के अलावा हुई आय को भी शामिल करने के सरकार के रुख को बरकरार रखा। ऐसे में अगर कंपनियां अपने टैरिफ में बढ़ोतरी करती हैं, तो उनकी वित्तीय सेहत में सुधार होगा और बाजार पर नजर रखने वालों का मानना है कि इस स्थिति में 2021 उद्योग के लिए एक अच्छा साल हो सकता है।
करीब 50,000 करोड़ रुपए के एजीआर बकाए का सामना कर रही वोडाफोन आइडिया ने कहा है कि उद्योग को दरों में बढ़ोतरी से रोकने का कोई कारण नहीं है, चर्चा चल रही है और इस संबंध में वह पहला कदम उठाने से कतराएगी नहीं। भारती एयरटेल, जिसने मुकेश अंबानी की जियो के हाथों बाजार में नंबर एक का स्थान खो दिया, ने संकेत दिया है कि हालांकि वह टैरिफ बढ़ोतरी शुरू करने नहीं जा रही है, लेकिन यदि दूसरे कीमतें बढ़ाते हैं, तो वह भी ऐसा करेगी। जियो अधिक स्पेक्ट्रम हासिल कर सकती है, क्योंकि 35 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी और कहीं अधिक टैरिफ हिस्सेदारी के साथ वह अपनी नेटवर्क क्षमता को बढ़ाना चाहती है। माना जा रहा है कि आगामी नीलामी को सामान्य प्रतिक्रिया मिलेगी, और उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि करीब 3.92 लाख करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम के लिए बोली 30,000 करोड़ रुपए से 50,000 करोड़ रुपए के बीच रह सकती है। आगामी नीलामी में 5जी सेवाओं का समर्थन करने वाले स्पेक्ट्रम बैंड शामिल नहीं हैं, जो आने वाले वक्त में एआई जैसी उभरती तकनीकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।