नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता मिलिंद देवरा ने दिल्ली में पिछले पांच साल में राजस्व दोगुना होने को लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार की तारीफ की जिसके बाद अजय माकन सहित दिल्ली कांग्रेस के कई नेताओं ने उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अगर देवरा कांग्रेस से अलग होना चाहते हैं तो उन्हें आधे-अधूरे तथ्यों का प्रसार करने की बजाय पार्टी छोड़ देनी चाहिए।

केजरीवाल के एक भाषण का संक्षिप्त वीडियो किया शेयर
दरअसल, देवरा ने रविवार रात केजरीवाल के एक भाषण का संक्षिप्त वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया, एक ऐसी जानकारी साझा कर रहा हूं जिससे कम लोग अवगत हैं। अरविंद केजरीवाल सरकार ने पिछले पांच साल में राजस्व को दोगुना कर दिया है और अब यह 60 हजार करोड़ तक पहुंच गया है। दिल्ली अब भारत का आर्थिक रूप से सबसे सक्षम राज्य बन रहा है।” देवरा के इस ट्वीट को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रिट्वीट भी किया। उनकी टिप्पणी पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन ने कड़ी आपत्ति जताई और कुछ आंकड़े रखते हुए कहा, ”भाई, अगर आपको कांग्रेस पार्टी छोड़नी है, तो छोड़ सकते हैं। इसके बाद आप आधा-अधूरे तथ्यों का प्रचार करें।

माकन के हमले पर देवरा का पलटवार
माकन के हमले पर पलटवार करते हुए देवरा ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘भाई, मैं मुख्यमंत्री के तौर पर शीला दीक्षित के शानदार प्रदर्शन को कभी कमतर नहीं करूंगा। ऐसा करने में आपकी विशेषज्ञता है। लेकिन बदलाव लाने में कभी देर नहीं होती। आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की पैरवी करने की बजाय अगर आप शीला जी की उपलब्धियों का उल्लेख करते तो आज कांग्रेस सत्ता में होती।’’ पूर्व विधायक अलका लांबा ने भी देवरा पर निशाना साधते हुए कहा, ”पहले पिता जी के नाम से पार्टी में आओ, फिर बैठे बैठे टिकट पाओ, कांग्रेस की लहर में पहली बार में ही केंद्रीय मंत्री भी बन जाओ। जब अपने अपने दम पर लड़ने की बात आए तो हार जाओ, पार्टी में पद की लड़ाई लड़ो, फिर पार्टी को गलियाते हुए, दूसरों के गुणगान में गिटार हाथ में लेकर बजाते रहो।

राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट राधिका खेड़ा का बयान
दिल्ली विधानसभा चुनाव में जनकपुरी से कांग्रेस की उम्मीदवार रहीं, पाटी की राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट राधिका खेड़ा ने कहा, ‘‘पहली बार चुनावी मैदान में उतरी एक युवा नेता के तौर पर मुझे उस वक्त बहुत निराशा होती है जब हमारे वरिष्ठ नेता अपनी पार्टी को बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करने की बजाय आम आदमी पार्टी की पीठ थपथपाते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में 1994 से राजस्व का सरप्लस रहा और शीला जी के समय यह अपने चरम पर था।

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