देवस्थानम अधिनियम को सही और विधि सम्मत करार देते हुए रूलक संस्था देहरादून की ओर से नैनीताल हाईकोर्ट में प्रार्थनापत्र दाखिल किया गया है। इसमें अधिनियम को चुनौती देते वाली भाजपा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को निरस्त करने की मांग की गई है।स्वामी की याचिका पर पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्यसभा सांसद व प्रसिद्ध अधिवक्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर अधिनियम को चुनौती दी थी। स्वामी ने इस अधिनियम को असंवैधानिक करार देते हुए 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि सरकार मंदिर का प्रबंधन अपने हाथों में नहीं ले सकती है।

इसके अलावा, रूलक संस्था की ओर से प्रार्थनापत्र दाखिल कर अधिनियम को सही करार दिया गया है। इसमें कहा गया है कि सरकार को मंदिर के चढ़ावे के प्रबंधन का अधिकार है। इस अधिनियम से किसी की धार्मिक आजादी के अधिकार का उल्लघंन नहीं होता। इस प्रार्थनापत्र पर जल्द सुनवाई हो सकती है।सुब्रमण्यम स्वामी ने 24 फरवरी को सरकार की ओर से बनाए गए देवस्थानम एक्ट के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सिद्धांतों के खिलाफ यदि पार्टी काम करती है तो उसे रास्ते पर लाना कार्यकर्ताओं की प्रमुखता होनी चाहिए।2014 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी।

आपकी जानकारी के लिए बता दें की इसमें कोर्ट ने आदेश दिए थे कि सरकार मंदिरों को अपने हाथों में नहीं ले सकती है लेकिन उसकी वित्तीय व्यवस्थाओं में सुधार जरूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि सरकार का काम मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि चलाना नहीं है।मंदिरों की धनराशि का दुरुपयोग न हो इसके लिए मंदिरों को सरकार नहीं, बल्कि पुजारी और अन्य पदाधिकारी ही चलाएं। पौराणिक मंदिरों के संरक्षण एवं विकास के लिए राज्य सरकार ने जो देवस्थानम एक्ट बनाया है, स्वामी ने उसे निरस्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा था कि सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।

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