डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे। उनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को हुआ था। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। वे कांग्रेस में शामिल होने वाले बिहार के बड़े नेताओं में से एक थे। वकालत में पोस्ट ग्रैजुएट डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, महात्मा गांधी के बहुत बड़े समर्थक थे। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 1931 में सत्याग्रह आंदोलन और 1942 में हुए भारत छोड़ो आंदोलन के लिए महात्मा गांधी के साथ जेल की सजा भी काटना पड़ी थी।

1935 तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे..
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद वर्ष 1934 से 1935 तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। 1946 में हुए चुनाव के बाद उन्हें केंद्र सरकार में खाद्य एवं कृषि मंत्री नियुक्त किया गया था। देश के प्रति उनके योगदान को देखते हुए उन्हें देश के सबसे बड़े पुरस्कार भारत रत्न से भी नवाज़ा गया। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का भारत की आजादी और आजादी के बाद भी देश के लिए किया गया योगदान उल्लेखनीय है।

कृषि मंत्री के रूप में की देश की सेवा
वर्ष 1946 में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने खाद्य एवं कृषि मंत्री के रूप में देश की सेवा की और आजादी के बाद उन्हें भारत का राष्ट्रपति बनाया गया। राष्ट्रपति रहते डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत की छवि को शसक्त करने के लिए कई देशों का दौरा किया। अपने जीवन के अंतिम दिन बिताने के लिए उन्होंने पटना के पास सदाकत आश्रम को चुना। यहाँ पर 28 फ़रवरी 1963 में उनके जीवन लीला समाप्त हुई।

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