नई दिल्ली। हालांकि, प्रभावशीलता में कमी के बावजूद कोरोना टीके अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में काफी कारगर साबित हुए। अध्ययन में पाया गया कि डेल्टा के मामले बढ़ने के दौरान टीका 18 से 64 वर्ष की आयु के संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में 90 फीसदी प्रभावी रहा। अध्ययन में न्यूयॉर्क के लगभग 88 लाख वयस्कों को शामिल किया गया। इनमें से लगभग दो-तिहाई को पूरी तरह से कोरोना टीका लगाया गया था। शोधकर्ताओं ने 1 मई और 28 अगस्त 2021 के बीच यह विश्लेषण किया। इस दौरान डेल्टा वेरिएंट राज्य में दो प्रतिशत से 99 प्रतिशत मामलों में पाया जाने लगा था। कोरोना के डेल्टा वेरिएंट की वृद्धि के दौरान संक्रमण के खिलाफ टीके की प्रभावशीलता में गिरावट देखी गई। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने बताया कि न्यूयॉर्क में कोविड प्रोटोकॉल बदलने से ब्रेकथ्रू मामलों में वृद्धि हुई। शोधकर्ताओं ने बताया कि गर्मियों की शुरुआत में सीडीसी ने नई गाइडलाइन जारी की। इसमें कहा गया कि जो लोग टीके की दोनों खुराक ले चुके हैं वह सार्वजनिक स्थानों पर बिना मास्क के जा सकते हैं। इसके बाद शहर के फिर से खुलने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा न्यूयॉर्क के लोगों ने इनडोर गतिविधियों में भाग लिया। इसके चलते ब्रेकथ्रू संक्रमण के मामलों में तेजी देखने को मिली। शोधकर्ताओं ने बताया कि गर्मियों में सिर्फ 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में ही अस्पताल में भर्ती होने के खिलाफ टीकों की सुरक्षा में गिरावट देखी गई। इसी के आधार पर शोधकर्ताओं ने बुजुर्गों को बूस्टर शॉट देने की आवश्यकता पर जोर दिया है। स्वास्थ्य विभाग के वैज्ञानिक डॉ. एली रोसेनबर्ग कहते हैं कि इन आंकड़ों से पता चलता है कि 65 साल से कम उम्र के वयस्कों को लेकर मौजूदा चिंता बूस्टर शॉट से कम की जा सकती है। गौरतलब है कि अमेरिका की सीडीसी और एफडीए ने हाल ही में फाइजर के बूस्टर शॉट को बुजुर्गों को लगाने की सिफारिश की है।