बिलासपुर । नगर निगम के सभापति को समझ में आ गई होगी । दरअसल तालापारा तालाब के आसपास 1100 झुग्गी झोपडिय़ों को हटाकर उन्हें पक्का मकान देने की योजना है । यहां से झुग्गी वासियों को विस्थापित करने के मुद्दे पर मौजूदा विवाद में निगम के महापौर रामशरण यादव ने आश्वासन दिया था कि अधिकारी मौके पर पहुंच कर उनकी बातें और समस्याएं सुनकर उनका निराकरण करेंगे। इसी कारण तालापारा तालाब के पास के बस्ती शारदा नगर मिनीमाता नगर फकीर मोहल्ला और संजय नगर की महिलाएं और अन्य लोग इक_ा हुए थे यह सभी स्वतंत्र मकानों की मांग कर रहे हैं । ऑडी संघर्ष के लिए उन्होंने मिनीमाता बस्ती बचाओ संघर्ष समिति का भी गठन किया है। बताते हैं इन्हीं में से किसी महिला ने स्थानीय पार्षद और नगर निगम के सभापति शेख नजीरुद्दीन उर्फ छोटे पार्षद को फोन लगा दिया। उस महिला और सभापति के बीच की बातचीत को सभी सुन सके इसके लिए उसने स्पीकर ऑन रखा था।
बताया जा रहा है कि बातचीत के दौरान शेख नजीरुद्दीन ने किसी महिला को गाली दे दी, जिसका वीडियो रिकॉर्ड कर लिया गया और कुछ ही पलों में यह वीडियो वायरल भी हो गया। पहले तो छोटे पार्षद ने इस आरोप को सिरे से नकार दिया लेकिन जैसे ही उन्होंने खुद का वायरल वीडियो देखा तो उन्होंने तत्काल माफी मांगने में ही भलाई समझी। महिला के साथ गाली गलौज करने वाले छोटे पार्षद ने माफी तो मांग ली लेकिन यह विवाद खत्म नहीं हुआ है ।विपक्ष इसे कांग्रेस का चाल, चरित्र और चेहरा बता रही है, तो वही सभापति की दलील है कि जिस महिला के खिलाफ उन्होंने अपशब्द कहे हैं उसका पति शासकीय नौकरी में है इसलिए उसे पक्का मकान नहीं दिया जा सकता। उन्होंने इशारों इशारों में महिला पर दलाली करने की बात भी कही, लेकिन इतना भर होने से सार्वजनिक जीवन में कार्य करने वाले किसी नेता को यह शोभा नहीं देता कि वह किसी महिला के लिए अपशब्द कहे ।फिलहाल सभापति ने फौरी तौर पर माफी मांग कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की है। वहीं उन्होंने कहा कि तालापारा के लोगों के लिए जी प्लस टू मकान बनाए जाने तक उन्हें अस्थाई तौर पर अशोकनगर या व्यापार विहार में शेड बनाकर उनका पुनर्वास किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि तालाब को बचाने के लिए उन्होंने लंबे वक्त से संघर्ष किया है और उनका मकसद तालाब को बचाने का है।
जिस वक्त घोड़ादाना स्कूल के पास इक_ा महिलाओं में से किसी महिला ने सभापति के साथ मोबाइल में बातचीत की उस दौरान सभी महिलाओं ने सभापति को अपशब्द कहते सुना और इसका वीडियो भी रिकॉर्ड हो गया इसलिए सभापति के पास बहानेबाजी की संभावना ही खत्म हो गई लिहाजा उन्होंने माफी मांग कर बुद्धिमानी का परिचय दिया, लेकिन इतना तो तय है कि इससे उनकी छवि पर धब्बा जरूर लगा है और आने वाले दिनों में भी यह मुद्दा रह रह कर उठेगा। जनप्रतिनिधि, नागरिकों को लेकर किस तरह की सोच रखते हैं , यह इस वीडियो से लोगों ने समझा है। उम्मीद करते हैं भविष्य में अन्य नेता भी मोबाइल पर बातचीत करने के दौरान इस तरह की गलती से बचेंगे और इस तरह भावनाओं में बहकर अपने लिए मुसीबत मोल नहीं लेंगे। यह वाक्य नेताओं के लिए किसी सबक से कम नहीं है। इधर सभापति द्वारा इस तरह गंदी गंदी गालियां देने से आहत महिलाओं ने निर्णय लिया है कि अब गाली देने वालों से कोई बातचीत नहीं की जाएगी। अब बैठक की तारीख तय कर महापौर सहित बाकी शिक्षा अधिकारियों से बस्ती में ही बातचीत की बात कही जा रही है। वही इन महिलाओं का आरोप है कि 1997 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम से सरकार ने ?10 करोड़ खर्च कर इस बस्ती को स्वयं बसाया था और पहले भी वे इसे किसी भी कीमत पर नहीं तोडऩे देने का दावा करते थे लेकिन अब अपनी ही बातों से कांग्रेस सरकार पलट रही है। लिहाजा इस मुद्दे पर उग्र आंदोलन की भी बात कही जा रही है। फिलहाल तो सभापति द्वारा महिलाओं के लिए कहे गए अपशब्द ही अधिक चर्चा में है।