मदरलैंड संवाददाता, पटना
सुशासन का दंभ भरने वाले नीतीश कुमार के राज्य में शिक्षक समान काम और समान वेतन और गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त करने के मुद्दे पर कई महीनों से आंदोलन पर हैं। शिक्षक वह होते हैं जो हमारे मन में सीखने को की ललक पैदा करते हैं और ज्ञान का मार्ग प्रशस्त करते हैं। भारतीय संस्कृति समेत विश्व के कई अन्य संस्कृतियों में शिक्षकों को ईश्वर के बराबर या उससे बड़ा स्थान दिया गया है। शिक्षकों का समाज में बहुत बड़ा ओहदा दिया गया है। शिक्षकों का समाज में महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि उन्हें आने वाला कल का निर्माता माना गया है यही कारण है कि शिक्षक के पद को काफी गौरवपूर्ण स्थान माना जाता है लेकिन बिहार के शिक्षक कई महीने से आंदोलनरत हैं।
शिक्षकों के हड़ताल पर रहने के कारण मैट्रिक और इंटर की परीक्षा का मूल्यांकन कार्य समय पर नहीं हो पाया। बिहार में शिक्षकों को 3 माह से वेतन बंद है।जिससे उसके समक्ष भूखमरी की स्थिति पैदा हो गई है।अभी तक 60 आंदोलनरत शिक्षकों की मृत्यु भी हो गई है।
बिहार सरकार ने शिक्षकों की हड़ताल खत्म कराने को लेकर कई प्रयास किए। लेकिन नतीजा अभी तक सिफर ही रहा। हड़ताल अवधि के दौरान 60 आंदोलनरत शिक्षकों की मौत भी हो चुकी है। शिक्षकों के हड़ताल पर रहने के कारण पठन-पाठन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इस दौरान कई शिक्षकों को बर्खास्त कर उन पर मुकदमा भी दर्ज कराया गया इससे शिक्षकों का गुस्सा और भी भड़क गया। उल्टे सरकार द्वारा हड़ताली शिक्षकों को डराया और धमकाया जा रहा है। गौरतलब है कि बिहार राज्य शिक्षा संघर्ष समिति के आह्वान पर हड़ताल किया जा रहा है। यह समिति राज्य के कई शिक्षक संघों का संयुक्त मंच है। शिक्षकों ने पुराने वेतनमान वाले शिक्षकों की भांति वेतनमान सरकारी कर्मी का दर्जा, शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से 65 करने, सभी प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद का सृजन कर अविलंब उस पर पदस्थापना करने, शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ लेने, नियोजित शिक्षकों को भविष्य निधि एवं ग्रुप बीमा का लाभ देने, शिक्षकों के वेतन निर्धारण में विसंगतियों को दूर करना आदि है।
वैसे बिहार में नौकरी को स्थाई करने और उचित वेतनमान को लेकर नियोजित शिक्षक आए दिन आंदोलन करते रहते हैं।
गौरतलब है कि शिक्षकों का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है और सुप्रीम कोर्ट से शिक्षकों को झटका लगा है। इसके बाद भी नियोजित शिक्षक हड़ताल पर हैं। बहरहाल इस साल बिहार विधानसभा का चुनाव होने हैं। इससे पहले शिक्षकों की नाराजगी किसी सत्ताधारी दल के लिए खतरनाक ना हो जाए।