मुम्बई। बीते कुछ दिनों से उत्तर भारत के पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में आंतरिक कलह से निपटने की कोशिश में जुटी कांग्रेस को अब दक्षिण के मोर्चे पर भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। केरल में अब पार्टी के एक वर्ग का मानना है कि उन्हें साइडलाइन कर दिया गया है और हाईकमान की ओर से नजरअंदाज किया जा रहा है। नए बनाम पुराने की रस्साकशी में सीनियर नेता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। 2 मई को प्रदेश में आए चुनाव नतीजों में पार्टी की हार के बाद कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष ए. रामचंद्रन को पद से हटा दिया था। इसके अलावा विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला को भी हटाया गया है। अब चेन्नीथला कैंप के नेताओं का कहना है कि भले ही उन्हें पद से हटाया गया है, लेकिन विदाई सम्मानजनक नहीं रही है। उनके समर्थकों का कहना है कि उन्हें सोनिया गांधी से मुलाकात के लिए अपॉइंटमेंट ही नहीं मिला। यही नहीं नए प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष को चुनने में भी कोई राय नहीं ली गई। चेन्नीथला के एक समर्थक ने कहा कि वह सम्मानजक विदाई के हकदार हैं। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी या फिर राहुल गांधी की ओर से उन्हें बुलाया जा सकता था और यह बताते हुए हटने को कहा जा सकता था कि आखिर क्यों अब नए चेहरों की जरूरत है। यहां तक कि उनकी या फिर पूर्व सीएम ओमान चांडी की भी सलाह लिए बगैर सभी बदलाव कर दिए गए। यही नहीं उन्होंने कहा कि पार्टी के ज्यादातर विधायक चेन्नीथला को ही अपना नेता देखना चाहते थे। हालांकि एक अन्य नेता ने इसे गलत करार दिया और कहा कि अधिकतर विधायक बदलाव के पक्ष में थे। इस संकट के बाद प्रदेश प्रभारी तारिक अनवर ने विधायकों, सांसदों और संगठन के नेताओं से बातचीत की है। प्रदेश में चेन्नीथला की जगह पर अब वीडी सतीशन को नेता विपक्ष बनाया गया है। इसके अलावा के. सुधाकरण को नेता विपक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। वह कॉलेज में सीएम पिनराई विजयन के जूनियर रहे हैं। केरल कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि चेन्नीथला की आयु 65 साल ही है और अब भी उनमें राजनीतिक दम बाकी है। लेकिन सवाल यह है कि उन्हें कौन सभी भूमिका में रखा जाए। फिलहाल राज्य में यूडीएफ गठबंधन के संयोजक का पद रिक्त है, लेकिन इसके लिए पूर्व सीएम के. करुणाकरण के बेटे के. मुरलीधरण को रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। केरल में पैदा हुआ यह संकट इसलिए भी कांग्रेस की चिंताएं बढ़ाने वाला है क्योंकि खुद राहुल गांधी इसी प्रदेश की वायनाड सीट से लोकसभा के सांसद हैं। ऐसे में उनकी भूमिका को लेकर भी चिंता पैदा होती है।

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