मदरलैंड संवाददाता,

पिछले साल से पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र में  ब्लैक राईस की खेती हो रही है।
खुशबूदार ब्लैक राइस न सिर्फ औषधीय गुणों से भरपूर है बल्कि किसानों के लिए आमदनी का एक बहुत अच्छा स्रोत भी है। आज भी इसकी कीमत तकरीबन ₹500 किलोग्राम से ज्यादा हैं।
आइए सबसे पहले जानते हैं ब्लैक राइस के स्वास्थ्यवर्धक गुणों के बारे में
काला चावल एंटीऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर माना जाता है।यूं तो कॉफी और चाय में भी एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं।लेकिन काले चावल में इसकी मात्रा सर्वाधिक होती है।एंटी ऑक्सीडेंट हमारे बॉडी को डिटॉक्स और क्लीन करने का काम करता है। आज के समय में एंटी ऑक्सीडेंट रिच फूड की आवश्यकता हर किसी को है।
 इस धान से निकले चावल में विटामिन बी,ई के अलावा कैल्शियम,मैग्नीशियम,आयरन तथा जिंक आदि प्रचुर मात्रा में मिलता है।विशेषज्ञों का मानना है कि यह चावल कैंसर एवं मधुमेह रोग में उपयोगी माना जाता है। इसके सेवन से रक्त शुद्धीकरण भी होता है।साथ ही इस चावल के सेवन से चर्बी कम करने तथा पाचन शक्ति बढ़ने की बात कही जा रही है।
डायबिटीज के मरीज अगर इसका नियमित सेवन करते हैं तो उन्हें दवाई और अस्पतालों के चक्कर से छुटकारा मिल सकता है।यह बताया जा रहा है कि आसपास के कई लोगों को  काफी लाभ मिला है।
      ब्लैक राइस की खेती….
इसकी खेती की सारी प्रक्रियाएं लगभग आम धान की खेती की जैसे ही है।हां,किसान भाइयों को इन दो बातों का विशेष ख्याल रखना  होता है।
आपको ब्लैक राइस वैसे खेतों में लगाना चाहिए जिसमें ज्यादा पानी नही लगता हो।क्योंकि इसे हाइब्रिड धानों के मुकाबले कम पानी की आवश्यकता होती है। अतः पानी जमने वाले खेत में इसे ना लगाएं।
इसके पौधों की हाइट तकरीबन साढे 4 फीट से लेकर 5 फीट तक के होते हैं और इसमें फर्टिलाइजर के रूप में सिर्फ पोटाश डालना होता है।यूरिया का उपयोग बिल्कुल नहीं किया जाता है।  क्योंकि इससे पौधे और ज्यादा लंबे होकर गिर सकते हैं।जो किसान भाई जैविक तरीके से खेती करते हैं।उनमें उनको कोई भी परिवर्तन करने की जरूरत नही हैं।
काले धान की फसल को तैयार होने में औसतन 100 से 110 दिन लगते है।विशेषज्ञ बताते है कि पौधे की लंबाई आमतौर के धान के पौधे से बड़ा है।इसके बाली के दाने भी लंबे होते है।
विटामिन व एंटी ऑक्सीडेंट का खजाना…
बताया जाता है कि इस धान से निकले चावल में विटामिन बी,ई के अलावा कैल्शियम, मैग्नीशियम,आयरन तथा जिंक आदि प्रचुर मात्रा में मिलता है।ये तत्व मानव शरीर मे एंटी ऑक्सीडेंट का काम करते है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह चावल कैंसर एवं मधुमेह रोग में उपयोगी माना जाता है।इसके सेवन से रक्त शुद्धीकरण भी होता है।
साथ ही इस चावल के सेवन से चर्बी कम करने तथा पाचन शक्ति बढ़ने की बात कही जा रही है।
बाजार भाव…
कम उत्पादन होने के कारण आज भी इसकी कीमत ₹500 प्रति किलोग्राम से अधिक है।पूर्वोत्तर में राज्य सरकारों के प्रोत्साहन के बदौलत यह चावल जन जन तक पहुंच चुका है।वहीं बिहार,यूपी, एमपी जैसे राज्यों में इसका प्रोडक्शन काफी कम है।जिसके कारण किसान भाइयों को अच्छा रेट मिलता है।
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