नई दिल्ली । भारत में ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन को बेहतर माना जा रहा है। इसके पांच कारण गिनाए जा रहे हैं। इस वैक्सीन का ट्रायल भारत में सीरम इंस्टि्यूट के जरिए हो रहा है। मालूम हो कि दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण की वैक्सीन पर शोध जारी है। अमेरिका में दो मेडिकल फर्म्स फाइजर और मॉडर्ना ने यह भी कह दिया है कि इनकी वैक्सीन 90-95 फीसदी तक सफल है। हालांकि अब दावा किया जा रहा है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और प्रमुख फार्मा कंपनी एस्ट्राजनेका की कोरोना वैक्सीन एझेडडी 1222, फाइजर और मॉर्डेना के मुकाबले ज्यादा सफल है।
जानकारी के अनुसार ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजनेका वैक्सीन की आधी खुराक भी बहुत असरदार है। इसमें बताया गया कि ट्रायल के दौरान जिन लोगों को कोरोना के पहली खुराक में कम मात्रा की वैक्सीन मिली और जिन्हें दूसरी खुराक में पूरी मात्रा मिली, उनमें कोविड संक्रमण की आशंका 90 फीसदी तक कम हो गई। उधर कोलकाता स्थित सीएसआईआर-आईआईसीबी की वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि अंतरिम परिणाम आशाजनक दिखते हैं, लेकिन विशेषज्ञों द्वारा इसकी पूर्ण समीक्षा की रिपोर्ट के बिना इसका पूरी तरह से विश्लेषण करना मुश्किल होगा। रिपोर्ट के अनुसार कोरोना संक्रमण को रोकनेमें ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजनेका की वैक्सीन 70.4 फीसदी तक कारगर है। रिपोर्ट के अनुसार शुरुआती नतीजों से मिली जानकारी के अनुसार ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजनेका की वैक्सीन वृद्धों के साथ ही सभी उम्र वालों पर असरदार है। वहीं यह संकेत भी मिले हैं कि इस वैक्सीन की खुराक से बिना लक्षण वाले वाले कोरोना संक्रमण का खतरा भी बहुत कम है। इसमें कहा गया कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजनेका की वैक्सीन को फ्रिज के सामान्य टेंपरेचर पर भी रख सकते हैं जबकि फाइजर और मॉर्डेना के लिए -20 से -80 डिग्री तक का तापमान जरूरी है। इसका मतलब यह हुआ कि फाइजर और मॉर्डेना के मुकाबले इसका रखरखाव आसान है।
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजनेका के वैक्सीन की कीमत भी फाइजर और मॉर्डेना के मुकाबले कम है। एक ओर जहां ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजनेका के वैक्सीन के लिए 2.5 अमेरिकी डॉलर यानी 185 रुपए कीमत होगी तो वही फाइजर और मॉर्डेना के लिए 20-25 डॉलर यानी 1500 से 1800 रुपए के बीच खर्च करना पड़ सकता है। जानकारी के अनुसार ‘ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप’ के निदेशक और ‘ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ट्रायल’ के मुख्य जांचकर्ता एंड्रयू पोलार्ड ने कहा, ‘इन निष्कर्षों से पता चलता है कि हमारे पास एक प्रभावी टीका है जो अनेक लोगों की जान बचाएगा। उत्साहजनक रूप से, हमने पाया है कि हमारी खुराक में से एक लगभग 90 प्रतिशत प्रभावी हो सकती है।’














