नई दिल्ली : पाकिस्तान में गुरुद्वारों का रखरखाव देख रहीं पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को पूर्ण स्वायत्तता देने की माँग उठी है। धार्मिक पार्टी जागो – जग आसरा गुरु ओट (जत्थेदार संतोख सिंह) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने इस बाबत पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास के माध्यम से भेजे पत्र में यह माँग उठाई है। साथ ही मौजूदा समय में पाकिस्तान कमेटी को रबड़ स्टैंप की तरह चला रहे एवेक्यू ट्रस्ट प्रापट्री बोर्ड (इ.टी.पी.बी.) का चेयरमैन किसी गैर मुस्लिम को लगाकर सभी गुरुद्वारों की जमीनों का मालिकाना हक बोर्ड से पाकिस्तान कमेटी या गुरु ग्रंथ साहिब के नाम स्थानांतरित करने की वकालत भी की है। साथ ही गुरु नानक देव जी व महाराजा रणजीत सिंह के खिलाफ पाकिस्तान के मौलाना खादिम रिजवी द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए रिजवी के खिलाफ ईश निंदा कानून के तहत मुकदमा दर्ज करने की माँग की है।
करतारपुर काॅरिडोर को खोलकर सिख जगत की उम्मीदों को लगाये पंख
जीके ने कहा कि इमरान खान ने करतारपुर काॅरिडोर को खोलकर सिख जगत की उम्मीदों को पंख लगा दिए है। इमरान खान का नाम सिखों के दिल में हमेशा के लिए दर्ज हो गया है। इसलिए सिख हितों के लिए अन्य फैसले लेने के लिए इमरान को दरियादिली दिखानी चाहिए। इमरान के लिए सबसे बड़ा काम गुरुद्वारों की जमीनों का मालिकाना हक सिखों के मौजूदा गुरु श्री गुरु ग्रंथ साहिब के नाम स्थानांतरित करना सबसे अहम कार्य हो सकता है। इसीलिए पाकिस्तान में खंडित अवस्था में पड़े सैकड़ों ऐतिहासिक गुरुद्वारों का जीर्णोद्धार करने की जिम्मेदारी बोर्ड से लेकर कमेटी को पाकिस्तान सरकार की तरफ से दी जानी चाहिए। क्योंकि बोर्ड इस समय भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। यहीं कारण है कि शरणार्थी जमीनों को संभालने की जगह बोर्ड उन पर भूमाफिया का कब्जा करवाते हुए उन्हें खुर्द-मुर्द करने का माध्यम बन गया है।
नेहरू-लियाकत पैक्ट 1950
जीके ने अफसोस जताया कि पाकिस्तान में अपने पवित्र स्थानों के दर्शनों के लिए संसार भर से आते सिख श्रद्धालुओं को कुछ खास स्थानों के अलावा कहीं ओर जाने से रोका जाता है। जीके ने बताया कि 1947 के बंटवारे के बाद दोनों देशों में रह गई शरणार्थी जमीनों की संभाल करने के लिए 8 अप्रैल 1950 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के बीच एक समझौता हुआ था। जिसे नेहरू-लियाकत पैक्ट 1950 के तौर पर जाना जाता है। इस समझौते के अनुसार पाकिस्तान में हिंदू व सिखों के पलायन के बाद उनकी त्यागी गई संपत्ति तथा धार्मिक स्थानों को संभालने की जिम्मेदारी बोर्ड को दी गई थी। समझौते अनुसार बोर्ड के चेयरमैन पर पाकिस्तान में हिंदू या सिख को तथा भारत में मुसलमान को चेयरमैन लगाने का फैसला हुआ था। लेकिन आज तक पाकिस्तान ने यह वायदा नहीं निभाया। साथ ही बोर्ड में 6 आधिकारिक तथा 18 गैर आधिकारिक व्यक्ति नामित होते है। जिसमें इस समय 8 आधिकारिक तथा 10 गैर आधिकारिक सदस्य मुस्लिम है। केवल 8 गैर आधिकारिक सदस्य हिंदू या सिख है। यह नेहरू-लियाकत पैक्ट 1950 तथा पंत-मिर्जा समझौता 1955 का उल्लंघन है।
बोर्ड के भ्रष्टाचार पर सख्त टिप्पणी
जीके ने बताया कि बोर्ड के पास 109404 एकड़ कृषि भूमि तथा 46499 बने हुए भूखंड का कब्जा या प्रबंध है। पाकिस्तान के मुख्य न्यायमूर्ति मिलन साकिब निसार ने दिसम्बर 2017 में बोर्ड के भ्रष्टाचार पर सख्त टिप्पणी की थी। जब उनके पास कटासराज मंदिर की जमीन की आड़ में बोर्ड के पूर्व चेयरमैन आसिफ हासमी द्वारा करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार करके पाकिस्तान से भागने का मामला सामने आया था। जीके ने कहा कि बोर्ड का प्रबंध हिंदू या सिख को सौंपने का निजी विधेयक 2018 में रमेश कुमार वनकवानी नेशनल एसेंबली में लेकर आए थे, लेकिन एसेंबली की धार्मिक मामलों की स्टेंडिग कमेटी ने इसे रद्द कर दिया था। यही कारण है कि गुरुद्वारों व मंदिरों की जमीनों पर अवैध कब्जा करवाकर उसका व्यावसायिक उपयोग बोर्ड के उच्चधिकारीयों की शह पर हो रहा है। इसी वजह से डेरा इस्माइल खान में श्मशान घाट की जमीन पर कब्जा होने से शवों के अंतिम संस्कार की दिक्कत हो गई है। साथ ही यहाँ के काली बाड़ी मंदिर को बोर्ड ने एक मुसलमान के हवाले करके वहाँ ताजमहल होटल खुलवा दिया है।
सरकार को अपनी मर्जी से सदस्य नियुक्त नहीं करने चाहिये…
जीके ने कहा कि गुरु साहिबानों से संबंधित कई अहम गुरुद्वारे इस समय खंडित अवस्था में है। जिनकी तस्वीरें हमारे पास है। इसकी संभाल करने के लिए पाकिस्तान कमेटी को बोर्ड के पिछलग्गू बनने से हटाकर कमेटी को पूर्ण स्वायत्तता देनी चाहिए। तथा कमेटी सदस्य चुनने का अधिकार पाकिस्तान की सिख संगत को मिलना चाहिए। सरकार को अपनी मर्जी से सदस्य नियुक्त नहीं करने चाहिए। इस मौके पर पार्टी के महासचिव परमिंदर पाल सिंह, दिल्ली कमेटी सदस्य हरजीत सिंह जीके, पी.ए.सी. सदस्य जतिंदर सिंह साहनी, इन्द्रजीत सिंह, इकबाल सिंह शेरा,अमरजीत कौर पिंकी,प्रवक्ता जगजीत सिंह कमांडर,युवा नेता जसमीत सिंह, हरअंगद सिंह गुजराल,अमरदीप सिंह जोनी आदि मौजूद थे।