कुमार रत्नेश,
मदरलैंड संवाददाता, पालीगंज
                           
एक कहावत बड़ा प्रचलित है,”अब तेरा क्या होगा रे कालिया” यह स्टीक बैठती है पटना जिले के पालीगंज अनुमण्डल मुख्यालय बाजार के मुख्य सड़क पर वर्षो से लगने वाले सब्जी और फल मंडी पर क्योंकि विगत 15 -20 वर्षो से जब से पालीगंज अनुमण्डल बना है तभी से यह एक बहुत बड़ी समस्या सुरसा की तरह मुह बाएँँ विकराल रूप से खड़ा है।जिसके कारण सड़को पर बेतरतीब भीड़ और अनियंत्रित ठेले खोमचे वाले , सड़को के अतिक्रमण कर सभी लोगों के साथ फल और सब्जी खरीदने वाले ग्राहकों द्वारा बीच सड़को पर वाहन लगाने से सड़को की अतिक्रमण होने से पूरे दिन अनुमण्डल बाजार जाम और महाजाम की समस्या से जूझते रहता है।क्योंकि इस दौरान छोटे बड़े वाहन भी इसी रास्ते से जब गुजरते है।अगर दोनों ओर से कई बड़े वाहन एक समय आ गए तो समझिए सड़क महाजाम मे तब्दील हो जाती है।जिसके कारण आने जाने वाले लोगों की मुसीबते तो आनी तय हो जाती है।फिर इस रास्ते से गुजरना अपने आप को किसी महा फजीहत मे डालने के बराबर से कम नही होता है।
 कोरोना  जैसी वैश्विक महामारी से विकट और विकराल परिस्थितियों से जूझ रहा है।जिसके कारण पूरे देश और बिहार  में भी पिछले लगभग तीन महीने तक लॉक डाउन लगी रही इस दौरान  पालीगंज अनुमंडल मुख्यालय बाजार के मुख्य सड़कों पर दोनों किनारे वर्षों से लगने वाले फल और सब्जी मंडी में लगातार भीड़-भाड़ की खबरें और लॉकडाउन उल्लंघन के मामले सामने आते रहे जिस पर संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन ने पालीगंज अनुमण्डल प्रशासन को दिशा निर्देश दिया था कि बीच सड़क से सब्जी मंडी को हटाकर किसी दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जाए ताकि भीड़भाड़ को नियंत्रित किया जा सके।
 वही जिला प्रशासन के कड़े दिशा निर्देशों के बाद अनुमंडल प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए फल और सब्जी मंडी को हाई स्कूल के छात्रावास के खेल मैदान पर तत्कालिक रूप से शिफ्ट कर दिया था।वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन  तो समाप्त हो गई ।लेकिन सब्जी मंडी वही लगती रही।दुकानदार अगले आदेश इंतजार करते रहे लेकिन कोई दिशा निर्देश नही मिला।इस बीच लगातार पिछले दो दिनों से भारी बारिश के चलते सब्जी मंडी  पानी से आधी डूब गई।जिसके कारण जल जमाव होने से कई दुकानदार अपनी दुकानें छोड़कर भाग खड़े हुए जिसकी वजह से उनके रोजी रोजगार की विकट समस्या खड़ी हो गई।उनके परिवार का भरण पोषण कैसे हो एक बड़ी चुनौती सामने हो गया । उधर सब्जी मंडी में पानी भरने के बाद मेरी खबर पर पालीगंज प्रखंड विकास पदाधिकारी चिरंजीवी पांडे ने सब्जी मंडी में जलजमाव की खबरें आने के बाद उन्होंने फिर से सब्जी मंडी को पुराने स्थान पर लगाने के लिए बीते कल से आदेश दिया था वीडियो के निर्देश के बाद सभी सब्जी विक्रेताओं ने सुबह से अपने दुकान में लगाने शुरू कर दिए लेकिन इसी बीच सब्जी दुकानदारों की दुकाने लगाते देख यह सब  बगल में स्थित स्थानीय थाने की पुलिस को रास नही आई।पुलिस सब्जी मंडी पहुंचकर कुछ दुकानदारों के तराजू बटखरे को जब्त करते हुए उन्हें  तत्काल सब्जी मंडी बंद करने का निर्देश दिया।
 वही पुलिस की इस कार्रवाई से आक्रोशित हो सभी सब्जी और फल मंडी के विक्रेताओं ने एकजुटता दिखाते हुए सैकड़ों की तादाद में अपनी रोजी रोटी की उत्पन्न हुई इस कोरोना काल मे विकराल हुई समस्याओं को लेकर एसडीएम आवास का घेराव कर दिया करीब 2 घंटे घेराव के बाद एसडीओ ने वीडियो को दिशा निर्देश दिया,सभी विक्रेताओं को समस्याओं का निदान का ।इस बीच सभी विक्रेताओं ने अपनी समस्या का समाधान न होते देख स्थानीय थाने का भी घेराव कर दिया।करीब 4 से 5 घंटे की शांतिपूर्ण तरीके से घेराव और प्रदर्शन के दौरान वीडियो चिरंजीवी पांडे ने पहल करते हुए स्थानीय पुलिस कप्तान सह थानेदार से बात किया और फिर से सब्जी मंडी को पुराने जगह पर ही लगाने का तत्कालिक आदेश दिया।पुलिस ने हाथ खड़े करते हुए बीडीओ पर सारा घुमा फिरा के मामले को सौप दिया।पुलिस ने कहा की जो बीडीओ साहेब के आदेश होगा पुलिस वही मानेगी।
वही बीडीओ ने कहा कि इसकी स्थाई समाधान किया जाएगा जिसके बाद फल और सब्जी मंडी को एक स्थाई जगह पर स्थापित किया जाएगा।दुकान अपने अपने दुकान वही पुराने जगह पर लगाएगा अगले आदेश तक।लेकिन महज वबीडीओ के 2 घंटे आदेश का नहीं हुआ की फिर सब्जी मंडी के विक्रेताओं का एक फरमान आया एसडीओ और वीडियो साहब आप लोग को तत्काल अपने कार्यालय में बुला रहे हैं।जिसके बाद सभी दुकानदारों के बीच अफरा-तफरी का माहौल हो गया और वह हतप्रभ भी हो गए कि फिर क्या हो गया किस लिए हम लोगों को एसडीओ और वीडियो साहब बुला रहे हैं।इसके बाद तत्कालिक रूप से सभी दुकानदारों ने कुछ देर के लिए आपस में विचार विमर्श  किया और सामूहिक रूप से बीडियो से मिलने प्रखंड कार्यालय पहुंचे वहां करीब 2 घंटे की बैठक दुकानदारों के साथ बीडीओ  और सीओ ने किया।साथ ही मेरे साथ युवा समाजिक कार्यकर्ता चंदन कुशवाहा,माले नेता अनवर हुसैन,विक्की चौहान के साथ करीब दो से अधिक दुकानदार मौजूद थे। इस दौरान  सब्जी मंडी को वैकल्पिक  दो- तीन स्थानों पर शिफ्ट करने का गहन विचार-विमर्श हुआ जिसमें से मठ की जमीन,जर्जर पड़ी सरकारी बस डिपो,कृषि फॉर्म के साथ कई वैकल्पिक स्थानों पर सब्जी मंडी को स्थापित करने पर चर्चा हुई।लेकिन अभी वरसात की मौसम को देखते हुए वहाँ बिना मिट्टी भराई के सम्भव नही है। अंततः आखरी विकल्प बचा की तत्कालिक रूप से अभी बस डिपो के पीछे वाले खाली पड़े जगह पर लगाया जाए। इसके बाद सबलोग डिपो का निरीक्षण करने पहुँचे।वहाँ जमीन तो ठीक थी परंतु बस डिपो के अगले हिस्से मे काफी जलजमाव है। जहा बिना बड़े पैमाने पर मिट्टी भराई और रास्ते के निर्माण के बाद ही सम्भव है।फिर आखिर इसके लिए पैसा कौन देगा। क्योंकि दो चार हजार से बात नही बनेगा? इसके लिए बड़ी राशि की जरूरत होगी? पैसे उपलब्ध नही? और बिना रास्ता बनाए सम्भव नही साथ ही यह व्यवहारिक रूप से स्थाई निदान भी नही क्योंकि यह  जगह तो पथ परिवहन विभाग का जमीन है।जिसपर बिना उसकी इजाजत के जबर्दस्ती सब्जी मंडी को लगाना खतरे से खाली नही फिर आदेश इसपर लगाने के लिए कौन देगा ? क्योंकि इसके लिए सक्षम पदाधिकारी यहाँ कोई नही? अगर यहाँ सब्जी और फल शिफ्ट भी हो जाएगा तो इसका कोई गारंटी नही यह कबतक रहेगा ? इसका भी विरोध शुरू होगा? फिर बिल्ली के गले मे घण्टी कौन बाँधेगा? वाली कहावत हो गई। यहाँ पर सब्जी स्थापित करना टेढी खीर बनाने से कम नही होगा।इस पर दिनभर चली उठापटक की नाटकीय माहौल के बाद कोई नतीजा नही निकलने के बाद बीडीओ और सीओ ने सभी दुकानदारों को फिर से वैकल्पिक व्यवस्था नही होने तक पुराने जगहों पर अगले दिशा निर्देश तक लगाने का मौखिक आदेश दिया। एक देहाती कहावत है एक दिन मे ढाई कोश ही चले। जहा से चले वही पहुँच गए।
 इस मुद्दे को लेकर जनप्रतिनिधि को आगे आना चाहिए।सबको अपनी जिम्मेवारी निभानी होगी? हमें लगता है अभी घुमा फिरा के एक स्थान है मठ की पीछे वाली जमीन यह बाजार से निकट है। मठ प्रबन्ध समिति भी इच्छुक है।मठ वाली जगह तो ठीक परंतु इसकी जमीन पर बड़े पैमाने पर मिट्टी भरनी होगी, दुकानदारो को अन्य सुविधाए रहने के लिए देनी होगी। जिसमें करीब 20 से 25 लाख की कम से कम राशि की जरूरत होगी? अब सवाल उठता है यह राशि कौन और कहा से देगा?मठ की जमीन पर यही व्यवहारिक अडचने है? मठ प्रबंधन के पास पर्याप्त रूप से इतनी बड़ी राशि नहीं।हमारे जनप्रतिनिधि लोग इसमें रुचि रखते नही? यह पालीगंज अनुमण्डल मुख्यालय  बाजार का दुर्भाग्य है की इसके निदान के लिए कोई ठोस पहल नही हो रही है।कभी कभार कुछ बात उठती है तो उसकी कोई ठोस परिणाम नही निकल पता है?

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