वाराणसी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में वाराणसी में बनने वाले लकड़ी के खिलौनों का जिक्र करते हुए पूरे खिलौना बाजार को लोकल से ग्लोबल बनाने की बात कही थी। इसी कड़ी का नतीजा है कि अब नए साल से कोई भी हस्त शिल्पी बिना किसी झंझट के विदेशों तक अपने इस हुनर को भेज सकता है। यहीं नहीं जीआई टैग प्राप्त लकड़ी, मिट्टी, पत्थर के खिलौनों की ग्लोबल मार्केटिंग की राह में भी इन तकनीकी बंदिशों को खत्म कर दिया गया है। बगैर टेस्टिंग और सर्टिफिकेट के ये उत्पाद विदेशों में भेजे जाएंगे। दरअसल बनारस के लकड़ी से बने खिलौने पूरे देश में मशहूर है।
पीएम मोदी के अपने मन की बात कार्यक्रम के बाद से ही कारीगर और कारोबारी आशान्वित थे कुछ अच्छा होने के लिए। नई स्फूर्ति के साथ वो अपने हुनर को तराशने में जुट गए। नए साल से कोई भी हस्त शिल्पी बिना किसी झंझट के विदेशों तक अपने इस हुनर को भेज सकता है। हस्तशिल्प प्रमोशन अधिकारी रामजी तिवारी ने बताया कि काशी के खिलौने अब ग्लोबल हो जाएंगे। निश्चित तोर पर इसका लाभ छोटे उत्पादकों को मिलेगा। जीआई विशेषज्ञ और पदमश्री डा रजनीकांत बताते हैं कि सरकार के इस कदम के बाद जीआई टैग के उत्पादकों को इससे बड़ी राहत मिलेगी। जीआई उत्पाद को लेकर पीएम मोदी हमेशा बहुत संजीदा रहते हैं। वो कुछ बड़ा करने जा रहे हैं, इसका इशारा तब ही मिल गया था, जब मन की बात पर कार्यक्रम में उन्होंने काशी के खिलौनों का जिक्र किया था। बता दें कि बनारस में करीब 100 करोड़ रुपए के लकड़ी के खिलौनों और नक्कासी का सालाना कारोबार होता है। यही नहीं एक हजार से ज्यादा परिवार इस कारोबार से जुड़े है और पचास से अधिक गांवों में लकड़ी के खिलौने बनाए जाते हैं। बनारस शहर में मुख्य रूप से कश्मीरीगंज में बड़ा उद्योग है।

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