इसी तरह से प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर के शेरे कश्मीर स्टेडियम में एक रैली को संबोधित करते हुए जम्मू और कश्मीर के सम्यक विकास के लिए 80 हजार करोड़ रु. का पैकेज घोषित किया था। किसी राज्य के आर्थिक विकास के लिए इतनी रकम कम नहीं होती लेकिन उसमें से कितनी रकम अब तक वहां सतह पर खर्च हुई, इसका पता शायद किसी को नहीं।

 

और तो और तकरीबन नौ महीने पहले, 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को संभवतः अब तक का सबसे बड़ा सपना दिखाते हुए लालकिले की प्राचीर से देश में बुनियादी ढांचे के विकास पर अगले पांच वर्षों में 100 लाख करोड़ रु. खर्च करने के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। इसे अगर हम प्रति वर्ष के हिसाब से देखें तो 20 लाख करोड़ रु. का आर्थिक पैकेज प्रति वर्ष बैठता है तो क्या 12 मई को प्रधानमंत्री के द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रु. का आर्थिक पैकेज वही है, या यह अलग से है। उस पैकेज के तहत अब तक कितनी रकम खर्च हुई, इसे कौन साफ करेगा।

 

इसी अवसर पर उन्होंने लालकिले की प्राचीर से अगले पांच वर्षों में भारत के पांच ट्रिलियन (खरब) डालर की अर्थव्यवस्था होने के सपने दिखाए थे लेकिन इस तरह के सपने साकार कैसे होंगे! इसके लिए किसी ठोस कार्य योजना के अभाव में संस्कृत की एक उक्ति याद आती है, ‘वचनम् किम् दरिद्रताम.’ यानी अगर केवल बोलकर ही देना है तो इसमें किसी तरह की दरिद्रता क्यों हो। वाकई हमारे प्रधानमंत्री वचन के मामले में कतई दरिद्र नहीं हैं।

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