भोपाल। प्रदेश के जल संसाधन विभाग द्वारा परियोजनाओं में 877 करोड़ रुपये के अग्रिम भुगतान मामले में राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) द्वारा प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए इस घोटाले से कांग्रेस की मुश्किलें बढना तय माना जा रहा है। इस घोटाले की जांच की जद में कांग्रेस के कई नेता आएंगे। मुख्य रूप से तत्कालीन जल संसाधन मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा और पूर्व मुख्य सचिव एम. गोपाल रेड्डी निशाने पर रहेंगे। रेड्डी का कामकाज पहले ही जांच के दायरे में है, इसलिए अधिकारियों के बहाने कांग्रेस नेताओं की घेराबंदी तेज की जाएगी। मालूम हो, नियमों की अनदेखी कर कमल नाथ सरकार में कंपनियों को अग्रिम भुगतान किया गया था। तब उनके करीबी माने जाने वाले आइएएस अधिकारी एम. गोपाल रेड्डी विभाग के अपर मुख्य सचिव थे। बाद में कमल नाथ ने उन्हें प्रदेश का मुख्य सचिव नियुक्त किया था। शिवराज सरकार ने मामले की जांच के लिए ईओडब्ल्यू को पत्र भेजा था। इस पूरे मामले में यह स्पष्ट है कि काम नहीं होने के बाद भी अग्रिम भुगतान किया गया। यह काम अधिकारियों की मिलीभगत से ही संभव हुआ था। अब ईओडब्ल्यू इस मामले में अधिकारियों से पूछताछ करेगी। सबसे पहले रेड्डी ही जांच के दायरे में आएंगे। उधर, तत्कालीन जल संसाधन मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताते हैं। उनका कहना है किसी भी भुगतान में मंत्री का कोई दखल नहीं होता है। जांच होने दीजिए, सच्चाई सामने आ जाएगी। सूत्रों की माने तो लोकसभा चुनाव में कालेधन के उपयोग को लेकर भी ईओडब्ल्यू की जांच जारी है। यह मामला भी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौर का ही है। करोड़ों रुपये की कथित हेराफेरी से संबंधित मामलों में भाजपा सवाल उठाएगी। जांच आगे बढ़ने के साथ ही भाजपा भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि के तौर पर इसे चुनावी माहौल में जनता के सामने रखेगी।