नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पिछले साल के अप्रैल से ही हालात काफी तनावपूर्ण रहे हैं। चीन ने घुसपैठ के इरादे से कई महीनों तक भारतीय जवानों को काफी परेशान किया, लेकिन बाद में ज्यादातर इलाकों से उन्हें पीछे हटने को मजबूर होना ही पड़ा। वैसे तो चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों से वापस चली गई है, लेकिन फिर भी भारत अपनी तैयारियों में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है। सेना ने बॉर्डर से सटे इलाकों में सेना को तैनात कर रखा है और पड़ोसी देश की हर एक चाल पर नजर बनाई हुई है। इस बीच, आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे ने मंगलवार को पूर्वी लद्दाख और सियाचिन का दौरा किया। इंडियन आर्मी द्वारा जारी बयान के अनुसार, आर्मी चीफ नरवणे मंगलवार को दोनों ही जगह पर पहुंचे और जवानों से मुलाकात की। आर्मी चीफ ने पूर्वी लद्दाख और सियाचिन के वर्तमान हालात का जायजा लिया और समीक्षा बैठक की। उन्होंने सैनिकों के साथ बातचीत की और उनकी दृढ़ता और उच्च मनोबल के लिए उनकी सराहना की। बता दें कि कई सैनिक उच्च ऊंचाई वाले कठोर इलाके में तैनात किए गए हैं। भारत और चीन के बीच पिछले दिनों 11वें दौर की बातचीत हुई थी, जोकि 13 घंटे तक चली थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि पीएलए ने गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स इलाकों में अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति पर वापस जाने से इनकार कर दिया है। इसकी बजाय उन्होंने अपनी ओर से भारतीय सेना को विचार करने के लिए कुछ प्रस्ताव दिए हैं। इस इलाके में सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने में कुछ और समय लगेगा। दरअसल, चीन साफ तौर पर यह चाहता है कि भारतीय सेना अब एलएसी के पास पट्रोलिंग पॉइंट 15 और 17ए पर उसकी नई स्थिति को स्वीकार करे और वह इन इलाकों में अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति पर जाने में भी आनाकानी कर रहा है। वहीं, इससे पहले, पहले लद्दाख के पैंगोंग सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारों के ऊंचाई वाले क्षेत्रों से दोनों देशों की सेनाओं की वापसी होने के बाद 20 फरवरी को भारत और चीन की सेनाओं के कोर कमांडर-रैंक के अधिकारियों के बीच एक और दौर की भी बातचीत हुई थी।

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