नई दिल्‍ली। संसद का मानसून सत्र शुरू हुए एक हफ्ता बीत चुका है। इस दौरान संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों के विभिन्‍न मुद्दों पर विरोध-प्रदर्शन के कारण कार्यवाही प्रभावित हुई है। ऐसे में हंगामे के बीच सरकार के पास इस बचे समय में अहम विधेयकों को पारित कराना बड़ी चुनौती है। सरकार अब इन विधेयकों को लाने और पारित कराने पर विचार कर रही है।
पिछले हफ्ते पेगासस जासूसी विवाद, 3 कृषि कानून और अखबार के दफ्तर में इनकम टैक्‍स विभाग की छापेमारी को विपक्षी दलों ने संसद में मुद्दा बनाया। इसके कारण लोकसभा और राज्‍यसभा को कई बार स्‍थगित करना पड़ा था। ऐसे में दोनों सदनों में कम काम हो पाया। एक वरिष्‍ठ मंत्री का कहना है कि विधायी कार्यों में विधेयकों को पारित कराना सरकार की प्राथमिकता है। उनके अनुसार इस मानसून सत्र के लिए कुल 25 विधेयक और अध्‍यादेश हैं।
इनमें से तीन विधेयक हाल में जारी अध्यादेशों के स्थान पर लाए जाएंगे क्योंकि नियम है कि संसद सत्र शुरू होने के बाद अध्यादेश के स्थान पर विधेयक को 42 दिनों या छह सप्ताह में पारित करना होता है, अन्यथा वे निष्प्रभावी हो जाते हैं। लोकसभा और राज्‍यसभा से जारी नोटिस के अनुसार इस हफ्ते सरकार ने सत्र के लिए पांच अध्‍यादेश सूचीबद्ध किए हैं। इनमें होम्‍योपैथी सेंट्रल काउंसिल (संशोधित) अध्‍यादेश, द इंडियन मेडिसिन सेंट्रल काउंसिल (संशोधित) अध्‍यादेश, एनसीआर में एयर क्‍वालिटी मैनेजमेंट संबंधी अध्‍यादेश, द इनसॉल्‍वेंसी एंड बैकरप्‍टी कोड (संशोधित) अध्‍यादेश और द एजेंशियल डिफेंस सर्विसेज अध्‍यादेश शामिल हैं।
अध्यादेश का स्थान लेने के लिए आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021 को सूचीबद्ध किया गया है। वहीं, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग-2021 अन्य विधेयक है जो अध्यादेश की जगह लाया जाएगा। इनमें से एक अध्यादेश 30 जून को जारी किया गया था जिसके जरिए रक्षा सेवाओं में किसी के विरोध प्रदर्शन या हड़ताल में शामिल होने पर रोक लगाई गई है। आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश 2021 आयुध फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) के प्रमुख संघों द्वारा जुलाई के अंत में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी देने की पृष्ठभूमि में लाया गया है।

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