भोपाल। कोरोना वायरस के इस संकट काल में लगे लॉकडाउन से अस्थमा के मरीजों को राहत मिली है। कोरोना वायरस से बचाव के ‎लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते प्रदूषण भी कम रहा। इस वजह से अस्थमा के मरीजों तकलीफ नहीं बढी। मरीजों के कम होने की बड़ी वजह लोगों का मास्क लगाना है। भोपाल के स्वास रोग विशेषज्ञों का कहना है कि अस्थमा के नए मरीज पिछले एक साल में करीब 50 फीसद कम हुए हैं। हमीदिया अस्पताल की श्वास रोग विभाग की ओपीडी में आने वाले मरीजों में करीब 10 फीसद अस्थमा के होते थे। पिछले एक साल में यह आंकड़ा चार से पांच फीसद के बीच रहा है।छाती व श्वास रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पीएन अग्रवाल ने बताया कि पहले से ऐसी खबरें आ रही थी कि अस्थमा के मरीजों के लिए कोरोना ज्यादा खतरनाक है, इस कारण अस्थमा के मरीजों ने विशेष सतर्कता बरती। इस वजह से कोरोना से बचे रहे। नए मरीज भी 40 से 50 फीसद तक पिछले एक साल में कम हो गए हैं। इस बारे में हमीदिया अस्पताल के स्वास रोग विभाग के प्राध्यापक डॉक्टर निशांत श्रीवास्तव का कहना है ‎कि पहले यह कहा जा रहा था कि कोरोना का असर अस्थमा के मरीजों पर बहुत ज्यादा होगा, क्योंकि अस्थमा फेफड़े की बीमारी है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जो मरीज संक्रमित भी हुए वह आसानी से ठीक हो गए। कोरोना काल में नए मरीज करीब 50 फीसद कम आए। अस्थमा के पुराने मरीजों की भी ठंड के दिनों में तकलीफ बढ़ जाती है, लेकिन ऐसे मामले भी इस बार अन्य सालों के मुकाबले करीब 10 फीसद ही मिले है। कोरोना से ठीक हो चुके कई मरीज अभी पलमोनरी फंक्शन टेस्ट के लिए आ रहे हैं उन्हें यही सलाह दी जा रही है कि एक महीने बाद ही यह जांच कराएं।

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