रौशन कुमार: सावधान! यदि बाजार में हरी हरी व ताजी सब्जियां देख कर आपकी नजर अगर टिकती है तो जरा संभल जाएं। सब्जियों का रंग नकली हो सकता है और इसका लगातार प्रयोग जानलेवा साबित हो सकता है क्योंकि पूर्णिया में भी सब्जियों में जहर घोलने का कारोबार धड़ल्ले से सरेआम और खुलेआम चल रहा है। यह काम अधिकारियों के नाकों तले हो रहा है। लेकिन अधिकारियों को पता तक नहीं है। यहां तक कि रासायनयुक्त सब्जियां अधिकारी भी बड़े ही शौक से खरीदते हैं लेकिन इन बातों से अंजान है। कई कई दिनों की हरी सब्जियों को रासायनिक रंगों में रंगकर मंडी में सजाया जाता है। फिर वही रंगी हुई जहरीली सब्जी आमलोगों की थाली तक पहुंच रही है। इसकी शिकायत मिलने के बाद जब पड़ताल की गई तो कई चौंकाने वाले सच सामने आए। शहर की सब्जी मंडी में धड़ल्ले से पुरानी सब्जियों को रंग उसमें चमक लाकर बेची जा रही है। यहां तक कि सफेद आलू को गेरूवा कलर के रंग में रंग कर लाल बनाया जाता है। जिससे आप सफेद आलू को लाल आलू समझ कर खरीद लेते हैं। इसके अलावा चना, अरहर और के दाल एवं धनियां को भी रासायनिक पदार्थ डाल कर चमकाया जाता है। यह सब रासायन स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक और जानलेवा है।

जानिए किन किन सब्जियों में होती है रंगाई
सब्जियों को ताजा दिखाने के लिए उसके कलर के अनुसार उसकी रंगाई की जाती है। सब्जियों को हरा दिखाने के लिए हरे रासायनिक पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है। रंग में कॉपर, सल्फेट का प्रयोग किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक रंगी जाने वाले सब्जियों में परवल, करेला, भिंडी, बैगन, मटर, टमाटर, बोरा, कद्दू आदि शामिल है। वहीं आलू को भी ताजा दिखाने के लिए उसके कलर के रंगो से रंगा जाता है। नाम न छापने की शर्त पर एक सब्जी कारोबारी ने बताया कि शहर के खुश्कीबाग हाट, मधुबनी सब्जी मंडी और भट्ठा बाजार सब्जी मंडी में सब्जियों को हरा और ताजा रखने के लिए बड़े पैमाने पर रंगा जा रहा है।

कैमरा देख बोला, सभी रंगते हैं हरी सब्जी, मैं भी रंग रहा हूं
सुबह करीब आठ बजे जब हम खुश्कीबाग सब्जी मंडी पहुंचे तो सब्जी मंडी में ग्राहकों की काफी भीड़ थी। लोग हरी व ताजी सब्जियां खरीदने में मशगूल थे। लेकिन उन्हीं दुकानों पर खुलेआम दुकानदार बासी सब्जियों को रंग रहे थे। जहां हमारी टीम पहुंची और कैमरे से सब्जी रंगते हुए उसकी तस्वीर ली। जिस पर दुकानदार आक्रोशित हो गया और झुंझलाकर बोला फोटो खींचकर क्या करेंगे। सभी सब्जी रंगते हैं, मैं भी रंग रहा हूं।

10 वर्ष तक का है सजा का प्रावधान
खाने पीने के सामान में मिलावट करते पकड़े जाने पर कठोर कार्रवाई का प्रावधान है। खाद्य अधिनियम एवं नियम 1954-55 के अंतर्गत एक वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक कैद का प्रावधान है। लेकिन इसकी गंभीरता को देखते हुए मिलावट के दोषियों के लिए बने नए अधिनियम 2006 के अनुसार आजीवन कारावास तक की सजा होने की प्रावधान किया गया है। लेकिन इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। कानून का किताब अधिकारियों के टेबुल पर धूल फांक रही है। लिहाजा धड़ल्ले से जहरीली मिलावट का खेल जारी है।

चिकित्सक बोले, रंगी हुई सब्जियों के प्रयोग से लिवर कैंसर का खतरा
शहर के होम्योपैथ चिकित्सक डॉ हरदेव कुमार शर्मा ने बताया कि इन सब्जियों को रासायनिक रंगों में रंगा जाता है। जिसका प्रयोग जानलेवा है। रंगी हुई ऐसी सब्जियों के सेवन करने से लोगों में कब्जियत व पेट फूलना, पेट में दर्द, उल्टी, भूख नहीं लगना, लिवर व किडनी में कैंसर तक होने का खतरा रहता है। ऐसी सब्जियों से लोगों को परहेज करना चाहिए। साथ ही बाजार से किसी भी तरह की सब्जियों को लाने के बाद अच्छे से धोकर पकाना चाहिए।

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