नई दिल्ली। देश जानलेवा कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है। इस बीच प्लाज्मा थेरेपी को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। नेशनल कोविड टास्क फोर्स ने प्लाज्मा थेरेपी को कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से ये कहते हुए हटा दिया है कि ये कारगर नहीं है, लेकिन इसके ठीक उलट आईएमए यानि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने प्लाज्मा थेरेपी का समर्थन किया है। जानिए आखिर प्लाज्मा थेरेपी पर क्यों कन्फ्यूजन बढ़ रहा है कोरोना की दूसरी लहर में जरूरतमंत लोग कोरोना से ठीक हुए लोगों से प्लाज्मा डोनेट करने की गुहार लगा रहे थे, क्योंकि माना जा रहा था कि प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का इलाज संभव है। लेकिन कोविड-19 पर बनी नेशनल टास्क फोर्स ने प्लाज्मा थेरेपी को ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से हटा दिया है। कहा गया कि प्लाज्मा थेरेपी कोरोनी मरीजों के उपचार में असरदार नहीं है। मरीजों की मौतों को कम करने में भी प्लाज्मा थेरेपी काम नहीं आई।ये दोनों दावे लंबी रिसर्च के आधार पर किए गए हैं और वैज्ञानिक तथ्यों को आधार मानते हुए ही सरकार ने प्लाज्मा थेरेपी को हटाया है। लेकिन तीन लाख से ज्यादा डॉक्टरों के समूह वाली संस्था आईएमए अब भी प्लाज्मा थेरेपी पर भरोसा जता रही है। आईएमए के वित्त सचिव डॉ अनिल गोयल ने कहा है कि प्लाज्मा थेरेपी मरीज के तीमारदार की मंजूरी से दिया जा सकता है। ऑफ लेबल किया है मना नहीं किया। बता दें कि 14 मई को नेशनल टास्क फोर्स की बैठक हुई थी, जिसमें प्लाज्मा थेरेपी के असरदार ना होने का मुद्दा उठा था और 17 मार्च को इसे कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से हटा दिया गया। अब सवाल ये है कि देश में कई लोगों ने प्लाज्मा दिया और प्लाज्मा के जरिए इलाज हुआ। प्लाज्मा से कई लोग ठीक भी हुए तो इसे अब क्यों हटाया गया? दरअसल बीमारी नई थी, इसलिए स्टडी में वक्त लगा। लेकिन लंबी स्टडी में पता चला कि प्लाज्मा थेरेपी से फायदा नहीं है। जिन्हें प्लाज्मा दिया गया उनमें नुकसान के मामले नहीं मिले हैं, लेकिन फायदा भी नहीं है। इसका जवाब ये है कि सरकार ने इलाज की जो गाइडलाइन पहले से तय की है, उसी के मुताबिक मरीजों का इलाज चलेगा। कोरोना वायरस लगातार अपना रुप बदल रहा है। म्यूटेशन के बाद ये और भी खतरनाक रूप अख्तियार कर लेता है, इसीलिए समय-समय पर इसके इलाज से जुड़े दिशा-निर्देश भी बदलते हैं।

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