नई दिल्ली । देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम का तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में हुरून ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2022 की रिपोर्ट जारी की गई। इसके मुताबिक इस साल की पहली छमाही में भारत ने 14 नए यूनिकॉर्न जोड़े जिसके साथ कुल यूनिकॉर्न की संख्या 68 हो गई लेकिन फंडिंग में कमी और लेट-स्टेज सौदों में क्रैश के कारण, भारत में कई स्टार्टअप अपनी यूनिकॉर्न स्थिति खो सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार कई विशेषज्ञों ने कहा कि स्टार्ट-अप संस्थापक बाजार की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण धन जुटाने से बचने की कोशिश कर रहे हैं। एक बिलियन डॉलर से अधिक के मूल्यांकन वाली कंपनी को भारत में यूनिकॉर्न माना जाता है। नंबर ऑफ यूनिकॉर्न के मामले में भारत अमेरिका और चीन के बाद तीसरे पायदान पर है। चौथे पायदान पर इंग्लैंड है। वहां कुल 46 यूनिकॉर्न हैं। यूनिकॉर्न और स्टार्टअप का विस्तार तेजी से जरूर हो रहा है, लेकिन इन कंपनियों का नुकसान भी लगातार बढ़ रहा है। भारत में अधिकांश बड़े स्टार्टअप निवेशक ग्लोबल टेक निवेशक हैं और वे आम तौर पर अमेरिका, यूरोप, चीनी और जापानी बाजारों में टेक शेयरों के साथ कुछ घरेलू भारतीय स्टार्टअप वैल्यूएशन की तुलना करते हैं। अगर टेक शेयरों में गिरावट आई तो भारतीय होल्डिंग्स को चिह्नित करेंगे। पिछले पांच वर्षों में, लगभग 7 भारतीय स्टार्ट-अप ने अपना यूनिकॉर्न दर्जा खो दिया है। कुल मिलाकर भारत में लगभग 105 स्टार्ट-अप ने 2018 और 2022 के बीच यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त किया लेकिन यूनिकॉर्न की सक्रिय संख्या अब घटकर 84 हो गई है। निवेशक मार्कडाउन के कारण 7 ने अपना मूल्यांकन खो दिया है और लगभग 10 को एक्सचेंजों पर लिस्टेड किया गया था।

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