नई दिल्ली। आजकल बच्‍चों में मिल्‍क बिस्‍कुट सिंड्रोम बढ़ रहा है लेकिन फिर भी इसे कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है। अगर आपके बच्‍चे को भी दूध के साथ बिस्‍कुट खाना अच्‍छा लगता है और वो बिस्‍कुट के बिना दूध को हाथ भी नहीं लगाता है, तो आपको इस मिल्‍क बिस्‍कुट सिंड्रोम के बारे में जरूर जान लेना चाहिए। अमूमन उन बच्‍चों में मिल्‍क बिस्‍कुट सिंड्रोम होता है, जो बच्‍चे अधिक मात्रा में शुगर और प्रोसेस्‍ड फैट लेते हैं।
खानपान की गलत आदतों जैसे कि रात को देरी से खाने की वजह से यह सिंड्रोम हो सकता है। आपको बता दें कि यह सिंड्रोम सिर्फ दूध और बिस्‍कुट से ही नहीं होता बल्कि और भी कई फूड्स हैं तो इसमें अहम भूमिका निभाते हैं। सॉफ्ट ड्रिंक्‍स, सोडा, पैकेटबंद जूस, दूध, फ्लेवर्ड योगर्ट, आइस्‍क्रीम, चॉकलेट और शुगर से भरे स्‍नैक्‍स इसके लिए ज्‍यादा जिम्‍मेदार हैं।आमतौर पर यह सिंड्रोम डेयरी प्रोडक्‍ट्स या उच्‍च मात्रा वाले प्रिजर्वेटिव्‍स और शुगर वाली चीजों से होता है। जब सोने से ठीक पहले ये चीजें खाई जाएं तो इसकी वजह से परेशानी हो सकती है। जब बच्‍चा सोता है तो इन खाद्य पदार्थों में मौजूद एसिड पेट भोजन नली में वापस चला जाता है और कभी-कभी गले तक पहुंच जाता है। बच्‍चों को वयस्‍कों की तरह सीने में जलन नहीं होती है इसलिए उन्‍हें अक्‍सर नाक बहने, छाती में कफी जमने, खांसी या गले में खराश होती है जो कि मिल्‍क बिस्‍कुट सिंड्रोम की वजह से होता है।
अगर बच्‍चा ऐसी किसी परेशानी की अक्‍सर शिकायत करता रहता है और आपको इसका कोई कारण समझ नहीं आ रहा है, तो आपको एक बार डॉक्‍टर से चेकअप करवा लेनी चाहिए। आप बच्‍चे को रोज रात को सोने से पहले दूध का गिलास देती होंगीं लेकिन अगर बच्‍चे को अक्‍सर खांसी, कफ, गले में खराश या कब्‍ज हो रही है, तो आपको पीडियाट्रिशियन को दिखाने की जरूरत है। चूंकि, दूध पोषक तत्‍वों का भंडार होता है इसलिए इसे रात की बजाय दिन में पिएं ताकि पोषण भी मिल जाए और बीमारी भी दूर रहे।अधिकतर मामलों में इस सिंड्रोम का पता ही नहीं चल पाता है जिसकी वजह से लक्षण और गंभीर हो सकते हैं और इसे खत्‍म करने में भी दिक्‍कत पैदा हो जाती है।

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