संसद के बजट सत्र के पहले चरण में राज्यसभा में विभिन्न दलों को सहभागिता के लिए उचित अवसर मिला। अधिकारियों ने यह बात कही।राज्यसभा सचिवालय ने अपनी तरह का यह पहला विश्लेषण किया है जिसमें सामने आया कि सदन में 34 प्रतिशत सदस्य संख्या वाली भाजपा को सदन में कुल 33 प्रतिशत सहभागिता का अवसर मिला। वहीं कांग्रेस को सदन में विषय उठाने के लिए 24 प्रतिशत अवसर मिले जिसके सदस्यों की संख्या 19 फीसद है।

सभापति एम वेंकैया नायडू ने यह जानने की इच्छा प्रकट की थी कि राजनीतिक दलों को राज्यसभा में उचित अवसर मिल रहे हैं या नहीं, इसके बाद यह विश्लेषण किया गया। इसके परिणाम से पता चला कि विभिन्न दलों को निष्पक्ष और समान अवसर मिले। सूत्रों के अनुसार, विपक्षी दलों को अपेक्षाकृत अधिक अवसर ही मिले। सदन में विषय उठाने के कुल 1460 अवसरों में से सत्तारूढ़ भाजपा को 480 अवसर मिले जिसके सदस्यों की संख्या 239 सदस्यों के इस सदन में 82 यानी 34 प्रतिशत है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के उच्च सदन में 46 सदस्य हैं और सदन की 19 प्रतिशत हिस्सेदारी यह पार्टी करती है। उसे 345 अवसर यानी करीब 24 प्रतिशत कामकाज में हिस्सेदारी मिली। सर्वे कहता है कि पांच या इससे अधिक सदस्यों वाले सदन में मान्यताप्राप्त दस पार्टियों की कुल सदस्य संख्या 190 यानी 80 प्रतिशत है और उन्हें कुल करीब 81 प्रतिशत कामकाज का अवसर मिला। इनके अतिरिक्त बाकी 20 फीसदी क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय सदस्यों को विषय उठाने के 19 प्रतिशत अवसर मिले। विपक्षी और गैर-राजग दलों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस को अपेक्षाकृत अधिक अवसर मिले, वहीं बीजद, द्रमुक, तेलंगाना राष्ट्र समिति और माकपा को उनकी सदस्य संख्या के संगत अवसर मिले। केवल सपा को थोड़े कम अवसर मिले।

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