नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडु ने कहा कि देश में कृषि को बनाये रखने के लिए कृषि उपज के बेहतर मूल्य और किसानों को समय पर, किफायती कर्ज उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है। वैश्विक खाद्य संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होने कहा कि अगर हम अपने किसानों को समय पर सहायता प्रदान करते हैं, तो भारत न केवल आत्मनिर्भर बना रहेगा साथ ही आने वाले वर्षों में दुनिया की जरूरतें भी पूरा करेगी।
महामारी के कारण हुई भारी तकलीफों के बावजूद पिछले साल खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि के लिए देश के किसानों की प्रशंसा करते हुए, श्री नायडु ने कहा कि कृषि को अधिक लाभकारी बनाने के लिए इस समय भंडारण क्षमता बढ़ाने, फसल परिवहन पर प्रतिबंध हटाने और खाद्य प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। “किसानों को उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ लागत में कटौती पर ध्यान देने की जरूरत है। हमें अपने संसाधनों जैसे पानी और बिजली का अधिक विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करने की भी आवश्यकता है”, नायडु ने कहा की हैदराबाद में डॉ. मैरी चन्ना रेड्डी मानव संसाधन विकास संस्थान में पूर्व सांसद येलामंचिली सिवाजी की पुस्तक ‘पल्लेकु पट्टाभिषेकम’ का विमोचन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि गांव और कृषि सहज रूप से आपस में जुड़े हुए हैं और हमें अपने गांवों में ‘ग्राम स्वराज्य’ लाने के लिए उनसे जुड़े मुद्दों को समग्र रूप में हल करना चाहिए। उन्होंने किसानों को लाभकारी परिणाम सुनिश्चित करने के लिए प्रयोगशाला और खेतों के बीच मजबूत संबंध बनाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने वैज्ञानिकों से जलवायु और सूखे का सामना करने में सक्षम बीज किस्मों को विकसित करने का आग्रह किया। नायडु ने कहा कि गांवों को सिर्फ ‘शहरों को भोजन की आपूर्ति करने वाले कारखानों’ के रूप में नहीं देखा जाना चाहिये। गांधीजी के ‘ग्राम स्वराज्य’ के सपने को साकार करने के लिये, उन्होंने कृषि को लाभदायक बनाने और गांवों को बढ़ते हुए आर्थिक केंद्र बनाने के लिए समाज, कृषि के जानकारों, कृषि-अर्थशास्त्रियों, छात्रों और शोधकर्ताओं के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर पर नये प्रयास करने का आह्वान किया। वह चाहते थे कि लोग अपनी जड़ों की तरफ वापस लौटें और लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को सुलझाने के लिए साथी ग्रामीणों के साथ काम करें।