ढाका। अफगानिस्तान में तालिबान की जीत का जश्न बांग्लादेश के कट्टरपंथी मना रहे हैं। बांग्लादेश में कई धार्मिक कट्टरपंथियों ने सोशल मीडिया पर खुलकर तालिबान की प्रशंसा की है। इतना ही नहीं, इनमें से कई यूजर्स को इसे अमेरिका की हार और तालिबान की जीत बताते हुए खुश हो रहे हैं। बांग्लादेश में तालिबान के प्रति बढ़ते जनसमर्थन को भारत के लिए बड़ी चिंता बताया जा रहा है।
डाइचे वेले (डीडब्लू) की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल की शुरुआत में ढाका पुलिस ने कम से कम चार धार्मिक कट्टरपंथियों को गिरफ्तार किया था। ये सभी तालिबान में शामिल होने के लिए भारत और पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान की यात्रा करना चाहते थे। ये उन 10 लोगों की समूह का हिस्सा थे, जो तालिबान में शामिल होने के तरीके ढूंढ रहे थे। बताया जा रहा है कि इनमें से दो तो तालिबान में शामिल भी हो चुके थे।
ढाका पुलिस की आतंकवाद निरोधी इकाई के प्रमुख असदुज्जमां खान ने बताया कि हमें गिरफ्तार किए गए लोगों से बहुत सारी जानकारी मिली है, लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि तालिबान लड़ाकों में शामिल होने के लिए कितने इस्लामवादी बांग्लादेश से अफगानिस्तान गए हैं। ऐसे में अगर ये बांग्लादेशी तालिबान में शामिल होते हैं, तो न केवल आतंकी संगठन की ताकत बढ़ेगी, बल्कि भारत के लिए भी खतरा बढ़ जाएगा।
1970-80 के दशक में जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर हमला किया था, तब बड़ी मात्रा में बांग्लादेशी मुसलमान मुजाहिदीनों का साथ देने के लिए अफगानिस्तान पहुंचे थे। सोवियत सेना के हार मानकर वापस लौटने के बाद ये लड़ाके भी वापस बांग्लादेश आ गए और हरकत-उल जिहाद अल-इस्लामी और जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेबीएम) सहित आतंकवादी समूहों का गठन किया। इन आंतकवादी समूहों ने कई साल तक बांग्लादेश और भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया। इसके अलावा इनके स्लीपर सेल ने युवाओं को बरगलाकर उनका ब्रेनवॉश करने की कोशिश भी की। ऐसे में अगर तालिबान की जीत का जश्न बांग्लादेश में मनाया जा रहा है, तो यह पूरे दक्षिण एशियाई देशों के लिए चिंता की बात है। बांग्लादेश में म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिम भी बड़ी संख्या में शरण लिए हुए हैं। ऐसे में इनके बीच से भी कई लोगों के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का अंदेशा जताया जा रहा है।

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