मदरलैंड संवाददाता, बगहा/ बाल्मीकि नगर
बिहार के एकमात्र बाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व में अब बाघों की गिनती की तरह गौर (जंगलीभैंसों) की भी गणना करने की कवायद तेजी से शुरू हो रही है। पिछले 2019 –20 में बाघों की गिनती के लिए लगाए गए कैमरा ट्रैप एवं जंगल सफारी करने वाले पर्यटकों को झुंड में काफी संख्या में जंगली भैंसों को देखा गया है। जिसके बाद से वन विभाग ने काफी गंभीरता से लिया है। इसको लेकर बीटीआर में कार्यरत डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सहयोग से मई माह में जंगली भैंसों की गिनती कराने के लिए रणनीति बनाई गई थी। लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना जैसी घातक संक्रमण बीमारी को देखते हुए लॉक डाउन में गौर की गिनती नहीं हो सकी। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो साल के अंत तथा 2020– 21 के अंत अंत तक गिनती कर ली जाएगी। इसके साथ ही वन क्षेत्र के अधिवास बनाए गौरव की वास्तविक संख्याओं की पता लगा लिया जाएगा।
“नेपाल से आए मेहमानों को भा गया टाईगर रिजर्व”
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन प्रमंडल 2 के डी एफ ओ सह उप निदेशक गौरव झा का कहना है कि बीटीआर के जंगलों में पहली बार साल 1996– 97 में नेपाल से 05 से 06 की संख्या में गौर (जंगली भैंसा) आए थे। उस समय के वीटीआर वन प्रमंडल 2 के वर्तमान डीएफओ डीके शुक्ला एवं अन्य अधिकारियों के द्वारा देखा गया था। इसके बाद से गौरव की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती गई। वर्तमान में इनकी संख्या तकरीबन 2 सौ की आसपास आंकी जा रही है।
बाघों का सबसे पसंदीदा भोजन गौर (जंगली भैंसा) होता है। बाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व के जंगलों में बने अधिवास गौर(जंगली भैंसा) बाघों का सबसे पसंदीदा भोजन होता है। क्योंकि जंगली भैंसों को मारने के बाद बाघ कई दिनों तक बड़े ही चाव से खाते हैं। इस तरह की प्रक्रिया में जंगली भैंसों का बाघों के भोजन में अहम भूमिका होती है।गौर (जंगली भैंसा) अन्य वन्य जीवों की अपेक्षा ताकतवर व फुर्तीला होता है। गौर अन्य वन्यजीवों के अपेक्षा ताकतवर व फुर्तीला जानवर होता है। जिसका वजन 5 से 7 क्विंटल तक का होता है। इनका मुख्य भोजन कड़ा घास जैसे रार है।”गौर शरद ऋतु में प्रजनन होता है”
टाइगर रिजर्व के डीएफओ ने बताया कि मादा गौर (जंगलीभैसों) का मिटिन (प्रजनन) का समय शरद ऋतु में होता है। तथा यह 9 से 11 महीनों के बीच बच्चों की जन्म दे देती है। मादा अपने पूरे जीवन काल में 5 शावकों को ही जन्म देती है । वही नर शावक 2 वर्ष की ही उम्र में झुंड को छोड़कर कहीं अन्यत्र चला जाता है। आमतौर पर मादा और शावक एक साथ झुंड बनाकर रहती है। लेकिन यदि कोई मादा गर्भधारण करने के लिए तैयार होती है तो उसे सबसे ताकतवर नर उसके पास किसी और नर को नहीं आने देता है। ये अन्य वन्य जीवों से अपने बच्चों को बचाने के लिए सभी को बीच में कर के आगे आकर बचाव करता है।