मानवीय स्वास्थ्य और प्रकृति के लिए बन रहा गंभीर खतरा
भोपाल। प्रदेशवासियों के लिए अब ई-वेस्ट की नई चुनौती उभर कर सामने आई है। इससे पहले प्रदेश में बायोमेडिकल वेस्ट और फ्लाई ऐश इंसान और प्रकृति के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है। ई-वेस्ट एक तरह से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग के बाद उनसे निकलने वाला कचरा है, जो मानवीय स्वास्थ्य और प्रकृति के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। दुनिया भर में इसे समय से एकत्रित कर नष्ट करने का काम किया जा रहा है। भोपाल समेत प्रदेश भर में ई-वेस्ट का कलेक्शन बीते पांच सालों में बढ़कर सालाना 534 मीट्रिक टन पहुंच गया था लेकिन 2020 में कोरोना संक्रमण की वजह से यह काम प्रभावित हुआ है। इसकी एक वजह लॉकडाउन के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग सामान्य दिनों की तुलना में कम होना है। अब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ई-वेस्ट का कलेक्शन बढ़ा दिया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की माने तो ई-वेस्ट यदि पर्यावरण में मिलता है और पानी के संपर्क में आता है तो पानी विषाक्त बन जाता है। यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। इसके कुप्रभाव से स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्परिणाम पड़ते हैं। मछलियों से लेकर वन्यजीव तक इससे प्रभावित होते है। कंप्यूटर में आमतौर पर तांबा, इस्पात, एल्यूमिनियम, पीतल और धातुओं जैसे सीसा तथा चांदी के अलावा बैट्री, कांच और प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है जो खतरनाक होते है। इनमें क्लोरीन व ब्रोमिन युक्त पदार्थ, विषैली गैस, फोटो एक्टिव और जैविक सक्रियता वाले पदार्थ अम्ल और प्लास्टिक होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करते हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार साल 2014-15 में 214.63 मीट्रिक टन ई-वेस्ट का निष्पादन हुआ, वहीं साल 2015-16 में 264.72 मीट्रिक टन, साल 2016-17 में 258.73 मीट्रिक टन, 2017-18 में 373.43 मीट्रिक टन, 2018-19 में 534.43 मीट्रिक टन और 2019-20 में 387.74 मीट्रिक टन ई-वेस्ट का निष्पादन हुआ।