मदरलैंड संवाददाता, भैरोगंज

सरकारी नियमों को ताक पर रख कर ईलाके में बालू खनन जारी है। इधर बालू खनन में सरेआम नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।
यहाँ उल्लेखनीय है के पिछले पाँच मई से बिहार के विभिन्न साइडों से बालू निकासी का आदेश जारी हो गया है। उपरोक्त आदेश के पहले कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, खान एवं भूतत्व विभाग के अफसरों और मुख्य सचिव के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक संपन्न हुई थी। जिसमें निर्णय लिया गया था के सभी बालू घाटों पर कोरोना संक्रमण को रोकने के मद्देनजर खनन साइडों पर सारे एहतियाती कदम उठाए जाएंगे।  खनन के पुराने नियमों के अलावे कोविड-19 संक्रमण को रोकने के नए शर्तों का पालन करने से संबंधित आदेश भी विभाग ने जारी कर दिया है। जिनका पालन करना अनिवार्य है।आदेशानुसार बालू के खनन में सभी मजदूरों को पर्सनल डिस्टेंसिंग नियम का पालन करना है। सभी बंदोबस्तधारियों को सारे सुरक्षा मानकों की व्यवस्था करनी होगी। हैंडवॉश, सैनिटाइजर, मास्क आदि की व्यवस्था मजदूरों के लिए बंदोबस्तधारी ही करेंगे। पर्याप्त दूरी के साथ खनन किया जाएगा। यही व्यवस्था बालू की लोडिंग, अनलोडिंग के समय भी रहेगी।
इसके अलावा पुराने नियम भी समानांतर रूप से लागू रहेंगे। मशलन,राष्ट्रीय हरित प्राधिकार अर्थात नेशनल ग्रीन  ट्रिब्यूनल(एनजीटी) और परिवहन के सभी नियम सख्ती से लागू रहेंगे।एनजीटी की बात करें तो  बालू और पत्थर के खनन में इसके के नियमों का पालन बेहद जरूरी है।मुख्य रूप से नदियों में बालू खनन की अधिकतम गहराई तीन मीटर तक सीमित रखने का निर्देश है। साथ ही पुल-पुलिया,सड़क, सार्वजनिक स्थल और सिंचाई संबंधी स्ट्रक्चर के निकट क्षेत्र बालू खनन के लिए प्रतिबंधित है।
नदी के तट पर पानी से दूरी बना कर अधिकतम तीन मीटर गहराई तक ही खानन करना है। प्रकृति और पर्यावरण को खनन से किसी तरह की क्षति  नहीं हो इसका ख्याल रखना है। नदी के पेट यानी पानी के अन्दर बालू खनन करना प्रदूषण को बढ़ावा देना माना गया है और यह पूरी तरह प्रतिबंधित है।
वहीं परिवहन नियमों के मुताबिक बालू की ढुलाई में प्रयोग किये जा रहे वाहनों पर ओवरलोडिंग नहीं होनी चाहिए।बहरहाल,क्षेत्र से गुजरते हरहा व अन्य नदियों के विभिन्न साइडों से बालू की निकासी शुरू है। यहाँ से निकाले बालू मध्यम किस्म का है। अतः इसकी मांग बेहतर है। इस बालू का इस्तेमाल स्थानीय तौर के अलावा बड़े पैमाने पर व्यावसायिक दृष्टि हो रहा है ।व्यवसायिक दृष्टिकोण से बालू सुदूर तक ले जाया जाता है। वहाँ ऊँचे कीमत में बेच दिया जाता है।इसके लिये इन साइडों पर बड़ी संख्या में  ट्रैक्टर-ट्राली रोज इक्कट्ठे होते हैं।जिन्हें स्थानीय मजदूर क्रमवार तरीके से लोड करते हैं। इस लोडिंग प्रक्रिया में ओवरलोडिंग मापने या बचने का कोई विकल्प नहीं है। इसतरह बालू से ओवरलोड वाहनों का व्यावसायिक दृष्टि से लेकर चलने का सफर शुरू होता है।
सच कहें तो वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कोविड-19 के शर्तो के साथ बिहार राज्य के खनन और प्रदूषण बोर्ड  द्वारा मान्य एनटीजी नियमों का कोई असर क्षेत्र के खनन साइडों पर दिखाई नहीं देता।  आश्चर्य इस बात पर है के प्रशासनिक अमला उपरोक्त सभी गतिविधियों का केवल मूकदर्शक है।

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