मदरलैंड संवाददाता, बेतिया
बिहार से बाहर लाखों बिहारी लॉक डाउन के कारण पिछले 40 दिनों से फंसे हुए हैं और वे सभी बिहार अपने-अपने घर आना चाहते हैं। बहुत दबाव के बाद बिहार सरकार बिहार से बाहर फंसे हुए मजदूरों और छात्रों के लिए ट्रेन चलाने के लिए राजी हुई। लेकिन अभी तक बिहार के लिए सिर्फ चार से पांच ट्रेन ही चल पाई है जो ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ के समान है।  समाजसेवी मनीष कश्यप ने बताया कि पहले तो बिहार सरकार बिहार के लोगों को बिहार लाने के लिए राजी ही नहीं थी और अब राजी भी भी हुई है तो एक परसेंट से कम लोगो को ही इस तरीके से बिहार सरकार बिहार ला पाएगी।1 दिन में बिहारी मजदूरों को लेकर सिर्फ एक से दो ट्रेन ही आ रही है। हर ट्रेन में बारह सौ से ज्यादा लोग नहीं आ रहे हैं। 30 लाख से ज्यादा बिहारी लोग बिहार से बाहर फंसे हुए हैं। अगर हर दिन दो ट्रेन की मदद से बिहार सरकार 2,400 लोगों को बिहार लेकर आती है तो भी सिर्फ 72 हजार लोगों को लाने में बिहार सरकार को एक महीना लग जाएगा। और 8 लाख 64 हजार लोगों को लाने में 1 साल लग जाएगा। इस हिसाब से 3000000 से ज्यादा लोग जो बिहार से बाहर फंसे हुए हैं उन्हें बिहार सरकार कितने दिनों में उनको उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था करेगी।  इसीलिए हम बिहार सरकार से मांग करते हैं कि रेलवे को उचित भाड़ा देते हुए केंद्र सरकार पर दबाव बना कर कम से कम देश के अलग-अलग कोने से 100 ट्रेन हर दिन बिहार के लिए चलाये जिससे बिहार के बाहर फंसे हुए गरीब मजदूरों और छात्रों को समस्या ना हो। जब तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहारियों के हक में यह निर्णय नहीं लेते हैं तब तक मैं अर्ध मुंडन कराकर नीतीश कुमार का विरोध करता रहूंगा।

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