नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रीय कोविड टीकाकरण कार्यक्रम को वैज्ञानिक और महामारी विज्ञान के साक्ष्यों, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर बनाया गया है। यह व्यवस्थित एक छोर से दूसरे छोर (एंड-टू-एंड) तक की योजना में शामिल है और इसे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों एवं लोगों की बड़े पैमाने पर प्रभावी और कुशल भागीदारी के माध्यम से लागू किया जाता है। भारत सरकार की टीकाकरण कार्यक्रम के प्रति प्रतिबद्धता शुरू से ही सक्रिय और स्थिर रही है और वह टीकाकरण की गति के साथ-साथ अपने टीकाकरण कवरेज और बढ़ाने के लिए राज्यों का लगातार समर्थन भी कर रही है। देशव्यापी सीओवीआईयूडी19 टीकाकरण अभियान के सार्वभौमिकरण के नए चरण के अंतर्गत केंद्र सरकार सभी वयस्क आबादी के टीकाकरण के लिए राज्यों को 75% कोविड टीके मुफ्त (नि:शुल्क) प्रदान कर रही है। अभी हाल में ही सामने आई कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में उत्तर प्रदेश और बिहार में कोविड-19 टीकाकरण अभियान की गति धीमी होने के आरोप लगाए गए हैं और यह कहा गया है कि दोनों राज्यों को अपनी आबादी का पूरी तरह से टीकाकरण करने में तीन साल लगेंगे। एक ऐसी औसत का उपयोग करना जो दुनिया भर में (भारत सहित) टीकों की अत्यधिक कम उपलब्धता के दौरान रहा था और फिर बाद में अब जब टीके की आपूर्ति बहुत अधिक होने की उम्मीद हो चली है तब वर्तमान आंकड़ों के साथ इसकी तुलना करके कम दर को अपने अनुमान के हिसाब से दिखाने (एक्सट्रपलेशन करना) से टीके के बारे में झिझक पैदा कर सकता है जो कि टीकाकरण के दौरान एक वैश्विक मुद्दा भी है।

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