मदरलैंड संवाददाता,

 वैश्विक महामारी और लॉक डाउन के कारण बिहार विधान परिषद की 17 सीटें विगत 6 मई से खाली हो गई है। लॉक डाउन के कारण निर्वाचन आयोग ने बिहार विधान परिषद के होने वाले चुनाव को स्थगित कर दिया था।
 बिहार विधान परिषद के इतिहास में यह सब तीसरी बार हुआ है जब सभापति और उपसभापति का पद एक साथ खाली रहेगा। इससे पहले 7 मई 1980 और 13  जनवरी 1985 से 17 जनवरी 1985 तक दोनों पद खाली रहे थे।
 बिहार कैबिनेट की बुधवार को हुई बैठक में भी विधान परिषद की कार्यकारी सभापति या उपसभापति के नाम की सिफारिश नहीं की गई जिसके चलते दोनों पद खाली हैं। सियासी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। ऐसी स्थिति में सभापति की शक्ति राज्यपाल के पास रहेगी। गौरतलब है कि बिहार विधान परिषद में सीटों की संख्या 75 है और 23 मई तक विधान परिषद की 29 सीटें खाली हो जाएगी। 6 मई को विधान परिषद की 17 सीटें खाली हुई थी जिनमें विधानसभा कोटे की 9, शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से 8 सीटें शामिल है। इसके अलावे राज्यपाल द्वारा मनोनीत होने वाली 12  सीटें हैं। बहरहाल अब देखना होगा कि 29 सीटों को भरने की कवायद कब होती है।

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