मदरलैंड संवाददाता, बगहा

सोमवार को यूपी बिहार की सीमा बांसी अवस्थित चेक पोस्ट पर  मदरलैंड संवाददाता बगहा के जीरो ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान एक बड़ी जत्था यूपी की तरफ से आती हुई दिखाई दिया। दर्जनों की संख्या में पहुंचे प्रवासी मजदूरों ने पुलिस के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि हम मजबूर मजदूर प्रवासी दिल्ली हरियाणा व पंजाब से चलकर 12 से 17 दिनों के बीच अपने बिहार के सीमा में प्रवेश कर प्रदेश का दीदार  कर रहे हैं । आंखों में आंसू लिए जब समस्तीपुर, बगहा, समेत बिहार के अन्य जगहों के मजबूर मजदूर कैलाश साहनी, सुरेश साहनी कमलेश पासवान झकड़ चौधरी आदि दर्जनों लोगों ने अपनी विवशता की दस्तानों को बताते रोने लगे । उन्होंने एनबी संयुक्त रूप से बताया कि वैश्विक महामारी को लेकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 22 मार्च को अचानक जनता कर्फ्यू लगा कर देश को एक गंभीर विषय की तरफ इशारा किया। साथ ही अगले ही दिन 23 मार्च से प्रथम चरण में 21 दिन के लिए लॉक डाउन जैसे नियम लगाकर देश हित में कदम उठाया गया जो सामान्य रूप से स्वागत योग्य था। परंतु उसके बाद भी लगातार लॉक डाउन का अवधी बढ़ता रहा। इस तरह से लगातार बढ़ रहे लॉक डाउन में भोजन पर आफत पहुंचते ही घर की याद आने लगी। जिस जगह पर हम लोगों ने कई सालों से मजदूरी करते आ रहे थे। बाबूओंं तथा कारखाने की मालिकों के द्वारा समय से काम तथा पैसा दे दिया जाता रहा। लेकिन देश पर क्या मुसीबत पड़ी। हम गरीबों की निवाले भी दूर होते चला गया। इस तरह से पैदल चलकर बिना खाए पिए जो कुछ भी पास में था उसका उपयोग करते हुए अभी बिहार में प्रवेश कर चुके हैं। फिर भी देश में दागियों की कमी नहीं है कुछ लोगों ने तो चप्पल जूते दिए कुछ खाने के लिए पैकेट भी दिए गरम पानी भी मिली राहत के लिए सड़क के किनारे गांव में लोग आराम करने के लिए जगह तक दिए। पैदल चलने की बात को लेकर संवादाता ने प्रवासी मजदूरों से पूछा तो जवाब में उन्हें बताया गया कि कोरो ना से तो बाद में मरेंगे लगता है भूख से पहले मर जाएंगे। इस तर्ज पर उन लोगों ने जान की बाजी लगाकर बिहार की सीमा में प्रवेश कर गए। सीमा में प्रवेश करते ही पुलिस वालों ने उन्हें रोका तथा बगल में बने प्रखंड परिसर में मेडिकल अस्पताल भेजा गया।। जहां थर्मल स्क्रीनिंग कर सरकार के द्वारा व्यवस्था में सभी प्रवासी मजदूरों को अपने अपने गंतव्य स्थानों तक बस सेवा से भेजा गया। अब देखना है कि सरकार की इस एडवाइजरी को कितनी हद तक पालन किया जा रहा है।

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