भवानीपुर प्रखंड मुख्यालय से लगभग पाँच किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुपौली स्थान में माता की पूजा अर्चना बड़े ही धूम धाम से किया जाता है। यहाँ माता की पूजा लगभग 150 वर्ष पूर्व से ही कि जाती है। मंदिर की उत्पति के बारे में मंदिर के पुजारी कहते है कि इस मंदिर की कहानी सैकड़ो साल पहले कि है अभी जहां माता की प्रतिमा स्थापित है यहाँ एक बहुत बड़ी नदी बहा करती थी जिसका नाम था कदई धार। एक रात ब्रह्मज्ञानी निवासी बाबुजन मंडल को भगवती ने स्वप्न में कहा कि मैं इस कदई धार में हूँ यहाँ से निकालकर मेरी स्थापना कर पूजा अर्चना करो। सुबह उठकर बाबुजन मंडल ने यह स्वप्न की बात अपने परिवार के सभी भाइयों से कहा और देवी की महिमा मान सभी धार में माता की प्रतिमा को खोज निकाला। यह खबर पूरे क्षेत्र में जंगल मे आग की तरह फैल गईऔर सभी माता की यह अनोखी माया देखने के लिए उमर पड़े। उसके बाद  धार के बगल में ही एक झोपड़ी का निर्माण कर प्रतिमा को  स्थापित किया गया। उसके बाद आज तक यहाँ पूरे साल भक्तों का तांता लग रहता है। जिसके बाद धीरे धीरे भक्तों और जनप्रतिनिधियों के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया।

नवमी को होता है मेला का आयोजन :-

सुपौली मंदिर में पावन महीने के नवरात के नवमीं को एक दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है इस दिन भवानीपुर के अलावा आसपास के सैकड़ों गाँव से लाखों लोग मंदिर में पूजा करने आते है और मेले का लुप्त उठाते है। इस संबंध में भवानीपुर प्रभारी थानाध्यक्ष उमेश मंडल ने कहा कि “मंदिर के लगभग एक किलोमीटर की दूरी से ही बेरिकेडिंग की व्यवस्था की गई है जिससे छोटे बड़े वाहन मंदिर के रास्ते मे प्रवेश न करे और आने जाने वाले भक्तों को भी दिक्कत न हो। इस दौरान मंदिर परिसर में दंडाधिकारी तैनात किया जाएगा और दर्जनों महिला और पुरूष पुलिस बल तैनात होंगे। मंदिर के चारों तरफ विशेष निगरानी की व्यवस्था की जाएगी और हमारे पुलिस बल सादे लिबास में भी तैनात किये जाएगे जिससे मेले में किसी प्रकार की अप्रिय घटना न घटे।”

भव्य माता रानी का मंदिर

बलि प्रथा का भी होता है आयोजन :-

लोगों का मानना है कि इस मंदिर में आने वाले भक्तों का माता रानी मनोकामना अवश्य पूरी करती है और यही कारण है कि यहाँ भक्तों की भीड़ लाखों की संख्या में रहती है । इसी नवमी के दिन यहां बलि भी दिया जाता है । इधर मेला प्रशासन की ओर से सारी व्यवस्था की जा चुकी है। मेला कमिटी के अध्यक्ष निर्भय ठाकुर , सुभाष चंद्र ठाकुर , गोवर्धन ठाकुर के अलावा आसपास के ग्रामीण शामिल है।

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