मदरलैंड संवाददाता बेतिया।
नफरत-पुलिस जुल्म बंद कर इलाज व भूख का प्रबन्ध करे सरकार
भाकपा माले का 12 अप्रैल 2020 को मांग दिवस प.चम्पारण में गांव से शहर तक में बजेगा खाली बर्तन
बेतिया। भूख के खिलाफ भात” को लेकर भाकपा माले के राष्ट्र व्यापी आह्वान पर 12अप्रैल 2020 को पश्चिम चम्पारण में बहरी सरकार को सुनाने के लिए गांव से शहर तक रविवार दो बजे से लेकर ढ़ाई बजे के बीच 10 मिनट के लिए गरीब खाली बर्तन बजाएंगे। उपर्युक्त कार्यक्रम की जानकारी भाकपा-माले केन्द्रीय कमेटी सदस्य वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि पिछले 25 मार्च 2020 से “लॉक डाउन” को लेकर गरीबों की दुर्दशा (कल्पनातीत) अकल्पनीय है। प्रवासी मजदूरों, प्रतिदिन(दिहाड़ी मजदूर) कमाने-खाने वाले व किराए पर रहने वाले मज़दूरों ने भूख और घृणा का ऐसा सामना कभी नहीं किया। हजारों मील पैदल घर लौटने वाले गरीबों को उनकी राज्य की सरकारों ने भी घृणा की नजर से उनको बोर्डर पर रोक दिया। किसी तरह गांव पहुंचे तो गांव के सामंती व दबंग लोगों ने पंचायत भवन में, स्कूलों में बने कवारन्टाइन वार्ड में भी रहने में बाधा पहुंचाई। रोजगार देने वाले शहरों में गरीबों को भूखमरी ने घेर लिया है और अब देहातों में मुशहर लोगों के टोलों समेत तमाम गरीबों कर टोला भुखमरी व मौत की चपेट में आने के कगार पर हैं। ऐसी स्थिति में अन्धविश्वास और साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने की चौतरफा कोशिशों ने आम जनता को उनके हाल पर छोड़ देने का माहौल बना दिया है। ऐसी विकट स्थिति में लोगों को भूखमरी से बचाने के लिए आगे आने वाले लोग, संस्थायें अपने सीमित संसाधनों के चलते थकने लगे हैं। सरकारी राहत बहुत ही अल्प(नगण्य) है और वो भी जमीन पर नहीं उतर सका है। “लॉक डाउन” को पुलिस ने जनता को पीटने का लाइसेंस समझ लिया है। जिस बड़े पैमाने पर महामारी की आशंकाएं जताई जा रही हैं, उस हिसाब से जिला अस्पतालों में जांच और डाक्टर, स्वास्थकर्मियों के लिए सुरक्षा पीपीई तक की व्यवस्था नहीं है।
कोरोना मरीज की कौन कहे सामान्य इलाज़ की कोई व्यवस्था बिहार के किसी अस्पताल में नहीं है। उधर सरकार वाहवाही लूटने में लगी है। सरकार सभी व्यवस्था पैरालाइज्ड है। एक तरफ व्यवस्था का घोर अभाव और दूसरी तरफ भूखमरी। सरकार व प्रशासन की चक्की में आम गरीब जनता फँसी हुई है। ऐसी स्थिति में मोदी सरकार अपने “मन की बात” कह कर बहरी बनी हुई है। इस स्थिति में गरीब अपने “भूख की आवाज” को बहरी सरकार को सुनाने के लिए खाली हांडी, बर्तन, थाली को बजाने की योजना बना रहे है। सरकार ने जो पांच किलो अनाज देने की बात कही है वह बहुत ही कम है, एक आदमी को एक माह में कम-से-कम साढ़े बारह किलो अनाज की जरुरत होती है। इसके साथ ही दाल, तेल,सब्जी,दवा की जरूरत अलग है। ऐसी स्थिति में प्रति परिवार कम से कम 50 किलोग्राम खाद्य सामग्री और न्यूनतम तीन हजार रुपए प्रतिमाह सरकार सहयोग करने की शीध्र गारंटी करे। ऐसी मांग माले नेताओं ने किया है। पुलिस के जुल्म व नफरत का कारोबार बंद करने। जिला अस्पतालों को महामारी से निपटने लायक बनाने की मांग की है। माले नेता ने 12अप्रैल 2020 को आह्वान को सभी गरीबों, मजदूरों, किसानों व न्यायप्रिय सभी नागरिकों से सफल करने का आह्वान किया है।