भारत की राजधानी दिल्ली में 12 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। चुनावी इतिहास बताता है कि इन सीटों पर जीत दर्ज करने वाली पार्टी दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने में सफल रही है। भाजपा के लिए यह बड़ी चुनौती है। विधानसभा गठन के बाद 1993 में हुए पहले चुनाव को छोड़ दिया दिया जाए तो एक भी चुनाव में पार्टी दो से ज्यादा सुरक्षित सीटें नहीं जीत सकी है।
बता दें कि पहले चुनाव में पार्टी इनमें से आठ सीटें जीतकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थी। हालांकि, मई में हुए लोकसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर भाजपा को बढ़त मिली थी जिससे पार्टी के नेता उत्साहित हैं और उन्हें इस बार स्थिति बदलने की उम्मीद लगा रहे है।
बता दें कि आरक्षित सीटों पर कांग्रेस का दबदबा रहता था, लेकिन वर्ष 2013 से यह स्थिति बदल गई है। पिछले दो चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) का दबदबा रहा है। 2013 में उसने नौ सीटें जीती थीं और मौजूदा समय में इन सभी विधानसभाओं क्षेत्रों में उसका कब्जा है। वह अपना कब्जा बनाए रखने के लिए पूरी कोशिश में लगी हुई है। दूसरी ओर कांग्रेस इन सीटों पर अपना जनाधार वापस पाने की कोशिश में लगी हुई है। भाजपा भी इस बार इन सीटों पर बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है।