मदरलैंड संवाददाता, बेतिया
वामपंथी दलों के राज्य व्यापी आह्वान पर भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी पं चम्पारण की ओर से भा ज पा चुनावी वर्चुअल रैली को बिहार की जनता के साथ क्रुर मजाक बताते हुए इसका विरोध कर धिक्कार एवं विश्वास घात दिवस के रूप में मनाया गया। बिहार की जनता जब कोरोना वायरस के प्रसार को झेल रही है। राज्य के मजदूर और किसान तंग वो तबाह है। प्रवासी मजदूरों का आना जारी है। पूरा शासन और प्रशासन इस जंग में लगा है। दिन प्रतिदिन इस वायरस से संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है ऐसी परिस्थिति में भा ज पा को सता का खेल सता रहा है और आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी के नाम पर वर्चुअल रैली कर जले पर नमक छिड़कने का काम हो रहा है। वास्तव में भाजपा को इंसान की जिंदगी से ज्यादा प्यारा सता और कुर्सी है। भाजपा के इस अवसरवादी राजनीति के खिलाफ भाकपा के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर कर विरोध कर रहे हैं। प्रवासी मजदूर संकट झेलते रहे आज भी बिहार के गरीब वेरोजगारी भूख अपराध कि समस्या झेलने को मजबूर हैं किसानों कि हालत गंभीर होती जा रही है स्वास्थ्य कर्मियों सफाई कर्मीयों पुलिस के जवानों को अभी तक सुरक्षा कीट नहीं मिला साधनों के अभाव में हमारे कर्मी इस जंग को लड़ रहे हैं भाजपा सरकार में सम्मिलित हैं लेकिन अभी तक इनके द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यहां तक के इनके नेता अल वल ब्यान देकर समाज में नफरत का बीज बोते रहते। आज भी राशनकार्ड के लिय गरीब दर दर भटक रहे हैं। भाकपा ऐसे अवसर वादी लोगों को सबक सिखाने की अपील जनता से करती है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का ललीपप दिखाया जाता रहा लेकिन आज तक विहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने से यहां से मजदूरों का बड़ें पैमाने पर पलायन होता।
भा क पा इस वर्चुअल रैली को बिहार की जनता को ठगने का प्रयास बता रही है। जरूरत है बिहार की जनता को सहयोग एवं विकास की रोजगार की लेकिन भाजपा को कभी हाथी की तो कभी गाय की चिंता होती इंसान मरे तो मरे उसके जान की कोई कीमत नहीं इसलिए आनन फानन में लॉक डाउन लगा कर बिहार के मजदूरों को अन्य राज्यों एवं सड़कों पर मरने के लिए छोड़ दिया गया। भाजपा को उनकी सुनी लेने तक का फुर्सत नहीं रहा लेकिन बिहार के चुनाव की तिथि नजदीक आते देख फिर से नाटक और ड्रामा का खेल शुरू कर रहे हैं। भाकपा कार्यकर्ताओं ने अलग जगहों पर इस रैली का विरोध करते हुए धिक्कार दिवस मनाया जिला मुख्यालय में जिला मंत्री ओमप्रकाश क्रान्ति जवाहर प्रसाद राधामोहन यादव राजीव रंजन झा तारिक अनवर, कैलाश प्रसाद, अंजारूल सफेसर, लक्की के नेतृत्व में चनपटिया में संतोष साह कैलाश दास योगेन्द्र शर्मा मदन शर्मा नौतन में तुलसी शर्मा योगापट्टी में हरेंद्र दुबे, इस्लाम हवारी, साधु सिंह, बैरिया में बब्लू दूबे, ज्वालाकान्त दूबे, केदार चौधरी, मझौलिया में कृष्ण न्नदन सिंह, अशोक मिश्र, तारकेश्वर के नेतृत्व में सरिस्का में सतार साह, संजय सोनी, एन डी तिवारी, साठी में अहमद अली, राजकुमार सिंह, गौनाहा में चन्द्रभूषण सिंह, सिकटा में सुबोध मुखिया, मैनाटांड में खलिकुज्जमा, लक्ष्मण राम, रामचन्द्र सहनी के नेतृत्व में धिक्कार दिवस मनाया गया।