देहरादून! परिवहन, समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य भाजपा में जाकर भी भाजपा के नहीं हो सके! दिल से हमेशा वह कांग्रेस ही बने रहे! इसका एक उदाहरण पिछले पांच वर्षों में उनकी कांग्रेस के प्रति किसी तरह की बयानबाजी न आना भी कहा जा सकता है! हालांकि कांग्रेस से भाजपा में गए हरक सिंह रावत समेत कई विधायकों के लगातार हरीश रावत समेत कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के खिलाफ लगातार बयान आते रहे, लेकिन यशपाल आर्य हमेशा शालीनता में ही बने रहे, जिससे एक बात यह भी साफ है कि यशपाल आर्य न तो भाजपा की नीतियों को अपना सके और न ही शायद कभी वह भाजपा के भगवा रंग में रंग में रंगों सके! पांच वर्ष पूर्व कांग्रेस से उनके विवाद की वजह भी शायद 2017 के विधानसभा चुनाव उनके बेटे को टिकट से इंकार करने का हो सकता है, भाजपा ने आर्य की इस नाराजगी को भुनाया और उन्हें बेटे समेत दो सीटों से टिकट दे दिया! इसमें आर्य ने भी खुद को जमीनी नेता के तौर पर साबित करते हुए दोनों सीटों से जीत दर्ज की! अब पांच साल बाद कांग्रेस से अपनी नाराजगी को दूर करते हुए यशपाल आर्य बेटे समेत घर वापसी कर गए हैं! जिसे कांग्रेस के लिए संजीवनी और भाजपा के लिए बड़ा झटका ही कहा जाएगा! बता दे कि 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व सीएम विजय बहुगुणा और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत समेत कांग्रेस के 10 विधायकों ने हरीश रावत सरकार को झटका देते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था! इसमें अंत समय तक यशपाल आर्य कांग्रेस के सारथी बने रहे, लेकिन चुनाव के समय पार्टी के कुछ बड़े नेताओं ने परिवारवाद ना चलने की बात कहते हुए उन्हें भी बेटे के टिकट से इंकार कर नाराज कर दिया! जिसका खामियाजा भी कांग्रेस को चुनाव में भुगतना पड़ा! दिग्गज नेताओं के जाने से चुनाव में कांग्रेस को सत्ता गंवाने के साथ ही बूरी हार भी झेलनी पड़ी! 2016 में सत्ता के शिखर पर बनी कांग्रेस 2017 में 11 सीटों पर सिमट कर रह गई! अब जबकि पांच राज्यों समेत उत्तराखण्ड में भी चुनावी माहौल गर्म है और पूर्व मंत्री यशपाल आर्य बेटे समेत घर वापसी कर गए हैं! ऐसे में अब देखना यह होगा कि कांग्रेस अपने समर्पित और बड़े नेता को भविष्य में किस तरह का सम्मान देती है!

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