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लंदन (एजेंसी)। ब्रिटिश यूनिवर्सिटी को भारतीय स्टूडेंटों के नामांकन से आने वाली 1.4 बिलियन से 4.3 बिलियन की राशि का नुकसान कोरोना महामारी के कारण हो सकता है। इंस्टीट्यूट फॉर फिस्कल स्टडीज द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 13 विश्वविद्यालय किसी आर्थिक सहायता नहीं मिलने की सूरत में भारी नुकसान में जा सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों के सामान्य कोटे में से लगभग आधे के इस साल सितंबर में यूके के विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों के लिए नामांकन की उम्मीद नहीं है। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन यूके के अध्यक्ष अमित तिवारी ने कहा कि इस सितंबर में भारतीय छात्रों के नामांकन में 50 प्रतिशत की गिरावट होगी तो ये कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। वे डोमेस्टिक स्टूडेंट से तीन गुणा ज्यादा भुगतान करते हैं, ऐसे में इस तरह के हालात से ब्रिटिश विश्वविद्यालयों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। ‘क्या विश्वविद्यालयों को कोविड-19 संकट से बचने के लिए आर्थिक सपोर्ट की आवश्यकता होगी’ शीर्षक रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय छात्रों में गिरावट के कारण आय का कुल नुकसान 3 बिलियन (27,000 करोड़ रुपये से 19 बिलियन) 1,77,000 करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान है।
पिछले साल, 37,540 भारतीय छात्र ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में दाखिला लिया था। लेकिन नेशनल इंडियन स्टूडेंट्स और एलुमनी यूनियन यूके के एक सर्वेक्षण के अनुसार, इस साल आवेदन करने वालों में 64% छात्रों में से कई ऐसे छात्र भी हैं दाखिला लेने का प्रस्ताव होने के बाद भी नामांकन प्रक्रिया से जुड़ी कोई भी जानकारी उनके पास नहीं है। वे इस बारे में चिंतित हैं कि क्या पाठ्यक्रम ऑनलाइन होंगे क्योंकि यूके के सभी विश्वविद्यालय मार्च में कोविड -19 प्रकोप की शुरुआत में ऑनलाइन ही चल रहे थे। साथ ही यात्रा और क्वारंटाइन, स्थानीय लॉकडाउन और संक्रमणों की संभावना जैसे डर भी बाधा बन रहे हैं।
पाठ्यक्रम के ऑनलाइन होने पर छात्र ब्रिटेन में पढ़ाई के लिए बड़ी मात्रा में पैसा नहीं खर्च करना चाहते हैं। पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष सनम अरोड़ा ने कहा, यही कारण है कि कई ने अपनी जमा राशि का भुगतान नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान, बुनियादी ढांचे, कक्षा अनुभव और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक्सोपजर ही यूके में उच्च शिक्षा का मुख्य आकर्षण था। सर्वेक्षण में शामिल भारतीयों में से अस्सी प्रतिशत ने कहा कि यदि पूर्ण ऑनलाइन शिक्षण होता है तो वे नामांकन नहीं करेंगे। जबकि 55 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पाठ्यक्रम शुरू में ऑनलाइन और फिर ऑफ़लाइन हो और फीस में भी छूट जाए तो उन्हें ये स्वीकार होगा।

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