महामारी कोरोना वायरस की तबाही की वजह से भारतीय रेलवे के इतिहास में शायद यह पहला ऐसा मौका होगा। जब ट्रेनों को यात्रियों के आने का इंतजार करना पड़ेगा। वेटिंग लिस्ट तो दूर कन्फर्म टिकट लेने वाले यात्रियों के लाले पड़े हैं। रेलवे बोर्ड ट्रेनें चलाने की तैयारी किए बैठा है लेकिन चलाई गई स्पेशल ट्रेनों की समीक्षा में जो बातें उभर रही हैं, उससे तो लगता नहीं कि फिलहाल ट्रेनों का आवागमन जल्दी सामान्य हो सकेगा। रेलवे के अति व्यस्त रूटों की स्पेशल ट्रेनों में एडवांस बुकिंग की स्थिति ठीक नहीं है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इससे पहले गरमी के सीजन में इन दिनों हर साल आमतौर पर यात्रियों की भीड़भाड़ से पूरा रेलवे प्रशासन बेहाल रहता था। लेकिन, अब कोरोना के भय से यात्रियों के थम जाने से रेलवे में सन्नाटा सा छायाहै। दौ सौ स्पेशल ट्रेनों में जून के दूसरे हफ्ते से ही ज्यादातर सीटें खाली हैं। भारतीय रेलवे की हजारों किमी लंबी पटरियों पर 13 हजार से अधिक ट्रेनों की आवाजाही से एक अलग दुनिया चौबीस घंटे गुलजार रहती थी जो ठप सी हो गई है। भारतीय रेल के मुख्यालय रेल भवन से लेकर टिकट विंडो तक में कोरोना से छिटपुट संक्रमण के प्रकोप से चौतरफा वायरस का डर फैला हुआ है।

इसके अलावा प्रवासी मजदूरों के लौटने के साथ ही श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन सीमित हो चुका है। अब तक कुल लगभग पांच हजार श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जा चुका है, जिससे 60 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचा दिया गया है। फिलहाल गिनती की कुछ ट्रेनें ही बंगाल जैसे सुस्त राज्यों की मांग पर चल रही हैं। वही,आइआरसीटीसी की रिजर्वेशन साइट पर रेलवे के सबसे व्यस्त रूट नई दिल्ली से हावड़ा और पटना के बीच चल रही स्पेशल ट्रेनों में 19 जून से लेकर दो अक्टूबर के बीच 90 फीसद से अधिक ट्रेनें खाली हैं। इन ट्रेनों को यात्रियों की तलाश है। थर्ड एसी टिकटों की बिक्री के आधार पर जुलाई व अगस्त में सारी सीटें रिक्त हैं।

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