दुनिया की ताकतवर भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक सैन्य व्यवहार को मजबूती से रोकने की रणनीति के तहत एक ओर जहां अतिरिक्त सैनिक और अस्त्र-शस्त्र भेजे, वहीं दूसरी तरफ सैन्य कमांडरों ने क्षेत्र की नाजुक स्थिति पर गुरुवार को लगातार दूसरे दिन चर्चा की। अधिकारियों ने बताया कि पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, दमचोक और दौलत बेग ओल्डी में भारत की मौजूदगी को मजबूत करने के लिए सैनिकों, वाहनों और उपकरणों सहित सैन्य सहायता भेजी गई है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सैन्य कमांडरों ने बुधवार(27 मई) को भी तीन दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर गहन चर्चा की थी। सूत्रों ने बताया कि थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने की अध्यक्षता में हो रहे सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर तथा पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों में आतंकवाद रोधी अभियानों पर भी चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में सभी विवादित क्षेत्रों में आक्रामक हाव-भाव जारी रखेगी और यथास्थिति कायम होने तक पीछे नहीं हटेगी। सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में अपनी शक्ति बढ़ा ली है और यहां तक कि वहां तोप भी पहुंचा दी है।

इसके अलावा कमांडरों का सम्मेलन 13 से 18 अप्रैल तक होना था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर इसे टाल दिया गया था। यह सम्मेलन हर साल अप्रैल और अक्टूबर में होता है। सम्मेलन का दूसरा चरण जून के अंतिम सप्ताह में होगा। इस बीच, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध को सुलझाने के लिए चीन के साथ सैन्य और राजनयिक स्तर पर बात कर रहा है. साथ ही देश अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने के अपने संकल्प पर अटल है।

Previous articleवंदे भारत मिशन के तहत 16,716 भारतीयों की स्वदेश वापसी
Next articleआधी रात को भी टिकटॉक वीडियो के लिए मेकअप करती हैं जान्हवी की बहन

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here