नई दिल्ली। कोरोना महामारी से जूझ रही पूरी दुनिया के लिए भारत द्वारा तैयार टीके एक तरह से ‘वैक्सीनयान’ की तरह है। भारत ने पहले अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा क्षेत्रों में क्रांति की। अब इसी तरह कोरोना वैक्सीन के क्षेत्र में यह प्रयास जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांति है। यह बात जैव प्रौद्योगिकी विभाग यानी डीबीटी की सचिव रेणु स्वरूप ने कही। उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर यह ऐसा क्षण है जब हम वैज्ञानिक क्रांति लाए हैं। यह वैज्ञानिक क्रांति को प्रदर्शित करता है। परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में हमारी अपनी ताकत है। वास्तव में यह विज्ञान है, जैव प्रौद्योगिकी है जिसके जरिय क्रांति हुई है। निश्चित रूप से हम इसे वर्ष का टीका क्षण या वैक्सीनयान कह सकते हैं।
– ट्रॉयल में विभाग की अहम भूमिका रही
कोरोना टीके के क्लीनिकल ट्रायल के लिए ढांचा विकास और टीका निर्माताओं को आवश्यक सहयोग कर डीबीटी ने टीका विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास केवल टीके तक सीमित नहीं है बल्कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संपूर्ण मजबूती को दर्शाता है।

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