नई दिल्ली। विश्व में पाम ऑयल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारत में किया जाता है। लेकिन भारत को अपने कुल उपयोग का 60 फीसदी से ज्यादा तेल इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात करना पड़ता है। यही दोनों देश दुनिया में इसके सबसे बड़े उत्पादक हैं।खाने के तेल में आत्मनिर्भर बनने की कवायद भारत सरकार की ओर से शुरू की गई है। इसमें सबसे ज्यादा ध्यान पाम ऑयल पर दिया जाना है। इसके लिए नेशनल मिशन फॉर एडिबल ऑयल-ऑयल पाम नाम की एक योजना की शुरुआत भी की गई है। इस योजना के तहत 11 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया जाएगा जिससे पूर्वोत्तर राज्यों और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में ऑयल पाम की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। पूरे विश्व में पाम ऑयल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारत में किया जाता है। लेकिन भारत को अपने कुल उपयोग का 60 फीसदी से ज्यादा तेल इंडोनेशिया और मलयेशिया से आयात करना पड़ता है। यही दोनों देश दुनिया में इसके सबसे बड़े उत्पादक हैं। साल 2020 से 2021 के बीच पाम ऑयल के दामों में 50 फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। जिससे खाने के तेल की कीमतें डेढ़ गुना से भी ज्यादा बढ़ गई हैं। आत्मनिर्भर भारत बढ़ती कीमतों को काबू करने के लिए सरकार को आयात शुल्क कम करना पड़ा है। लेकिन कोरोना से खराब हुई अर्थव्यवस्था के बीच भारत की बढ़ी महंगाई चिंता का सबब बनी हुई है। यह बढ़ा खर्च भी भारत को पाम ऑयल के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रहा है। इसीलिए भारत सरकार ने साल 2029-30 तक करीब 10 लाख हेक्टेयर भूमि पर पाम की खेती का लक्ष्य रखा है। इतनी जमीन भारत के त्रिपुरा राज्य के बराबर होगी। भारत में फिलहाल 3 लाख हेक्टेयर जमीन पर पाम की खेती हो रही है, इसमें 6।5 लाख हेक्टेयर यानी सिक्किम के बराबर जमीन पर खेती और बढ़ाई जानी है। ऐसा करके भारत अपने पाम ऑयल उत्पादन को बढ़ाकर 11 लाख टन करना चाहता है। हालांकि कई जानकार इससे डरे हुए भी हैं। वे मानते हैं कि भारत बिना पर्यावरणीय सुरक्षा के बारे में सोचे जितनी तेजी से यह योजना लागू करने की कोशिश कर रहा है, वह मुसीबत का सबब भी बन सकती है। बिन पाम ऑयल सब सून ज्यादातर भारतीय पकवान ‘खाने के तेल’ के बिना नहीं बन सकते। इसके लिए रिफाइंड ऑयल और वनस्पति तेल आदि नाम से मिलने वाले पाम ऑयल का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। इसके अलावा यहां सरसों का तेल, नारियल तेल और मूंगफली के तेल का इस्तेमाल भी होता है। लेकिन भारत में अन्य खाने के तेल में भी पाम ऑयल की मिक्सिंग की जाती है। इस तरह भारत में इस्तेमाल होने वाले कुल खाने के तेल में पाम ऑयल का हिस्सा करीब दो-तिहाई होता है। साल 2019-20 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में कुल ‘खाने के तेल’ की मांग 2.5 करोड़ टन थी। जबकि इस साल भारत में आयात किए गए पाम ऑयल की मात्रा 1.3 करोड़ टन रही थी। ऐसा इसलिए क्योंकि खाने के तेल के अलावा पाम ऑयल का इस्तेमाल डिटर्जेंट, प्लास्टिक, कॉस्मेटिक, साबुन-शैम्पू, टूथपेस्ट और बायो फ्यूल के तौर पर भी किया जाता है। हालांकि भारत में मौजूद कुल पाम ऑयल का करीब 94 फीसदी फूड प्रोडक्ट्स में ही इस्तेमाल होता है।