लंदन। भारत के किसान आंदोलन को लेकर दुनियाभर में चर्चा है। किसानों के प्रदर्शन की गूंज अब ब्रिटिश संसद में सुनाई दे सकती है। ब्रिटेन की संसद की याचिका समिति किसानों के प्रदर्शन और भारत में प्रेस की आज़ादी पर ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ परिसर में चर्चा कराने पर विचार करेगी। दरअसल, इस सबंध में एक ऑनलाइन याचिका पर 1,06,000 से ज्यादा हस्ताक्षर किये गये हैं। यह चर्चा ‘वेस्टमिंस्टर हॉल’ में हो सकती है। ई-याचिका पर हस्ताक्षर करने वालों की सूची में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का नाम भी कथित तौर पर दिख रहा है, जो उन्होंने पश्चिम लंदन से संसद में कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य की हैसियत से किए हैं। वहीं, ब्रिटिश प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास सह कार्यालय, 10 डाउनिंग स्ट्रीट ने बुधवार को इस बात से इनकार किया कि जॉनसन ने याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं।

पत्रकारों को अपनी नौकरी करने और गिरफ्तारी या हिंसा के डर के बिना

ब्रिटिश सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि मीडिया की स्वतंत्रता मानव अधिकारों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और दुनिया भर के पत्रकारों को अपनी नौकरी करने और गिरफ्तारी या हिंसा के डर के बिना अधिकारियों को जवाबदेह रखने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए।
प्रवक्ता ने कहा, ‘स्वतंत्र प्रेस हमारे लोकतंत्रों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और सरकार मीडिया स्वतंत्रता गठबंधन के सदस्य के जरिए इसे अपना समर्थन देती है।’ संसद की आधिकारिक याचिका वेबसाइट पर ‘प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा और प्रेस स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार से आग्रह करें’ शीर्षक की याचिका में ब्रिटिश सरकार से किसान प्रदर्शन और प्रेस की आजादी पर सार्वजनिक बयान देने के अनुरोध किया गया है।

किसी ई-याचिका पर 10,000 से ज्यादा हस्ताक्षर प्राप्त होते हैं

संसद की वेबसाइट पर अगर किसी ई-याचिका पर 10,000 से ज्यादा हस्ताक्षर प्राप्त होते हैं, तो ब्रिटेन की सरकार के लिए आधिकारिक बयान देना जरूरी हो जाता है, जबकि किसी याचिका पर एक लाख से ज्यादा हस्ताक्षर होते हैं तो उस मुद्दे पर चर्चा के लिए विचार किया जाता है। हाउस ऑफ कॉमन्स के प्रवक्ता ने कहा कि याचिका पर सरकार की प्रतिक्रिया इस महीने के अंत तक आने की उम्मीद है और चर्चा कराए जाने पर विचार किया जा रहा है।
प्रवक्ता ने कहा कि ‘वेस्टमिनिस्टर हॉल’ में चर्चा कराने पर फिलहाल अस्थायी तौर पर रोक है। यहीं पर याचिकाओं पर चर्चा होती है लेकिन समिति इस चर्चा को जल्द से जल्द कराने की घोषणा कर सकती है। इस बीच, ब्रिटेन में इंडिन जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (आईजेए) ने अन्य अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों के साथ मिलकर किसान आंदोलन को कवर कर रहे पत्रकारों की गिरफ्तारी पर चिंता जताई है और भारत सरकार से देश में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।

प्रदर्शन के बारे में जल्दबाजी में टिप्पणी से पहले तथ्यों

वहीं, दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि प्रदर्शन के बारे में जल्दबाजी में टिप्पणी से पहले तथ्यों की जांच-परख की जानी चाहिए। मंत्रालय ने कहा कि मंत्रालय ने कहा है कि कुछ निहित स्वार्थी समूह प्रदर्शनों पर अपना एजेंडा थोपने का प्रयास कर रहे हैं और संसद में पूरी चर्चा के बाद पारित कृषि सुधारों के बारे में देश के कुछ हिस्सों में किसानों के बहुत ही छोटे वर्ग को कुछ आपत्तियां हैं। विदेश मंत्रालय के बयान में इस बात पर जोर दिया गया है कि प्रदर्शनों को भारत के लोकतांत्रिक चरित्र और राज्य-व्यवस्था के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

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